Social Sciences, asked by paporirai6496, 10 months ago

चिले में राष्ट्रपति आयेंदे (Allende) का तख्ता कब पलटा गया और सैनिक क्रांति किसके नेतृत्व में हुई ?

Answers

Answered by SamikBiswa1911
0

Answer:

प्रदर्शनकारी नारे लगा रहे थे- ”चालीस साल पहले हुए तख्तापलट को हम नहीं भूले हैं।”

इस विरोध प्रदर्शन का समापन उस समाधी स्थल पर हुआ, जिसे पिनोशे सरकार की तानाशाही में मारे गये लोगों की याद में बनाया गया है। लोरीना पिजारो ने कहा- ”चालीस साल हो गये, हम आज भी सत्य और न्याय की मांग कर रहे हैं। जो हमें आज तक नहीं मिला। हम यह जानना चाहते हैं, कि हमारे प्रियजनों के साथ क्या हुआ? क्यों वो आज तक लापता दर्ज हैं?”

इन प्रदर्शनकारियों के खिलाफ चिली पुलिस ने सख्त कार्यवाही की। उन्हें खदेड़ने और तितर-बितर करने के लिये अंश्रु गैस के गोले और वाटर कैनन का उपयोग किया गया। आर टी (रसियन टीवी) टीम का कहना है कि ”सेनटियागो के सल्वाडोर अलेंदे समाधी के करीब पुलिस ने शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे लोगों को हिंसक तरीके से वहां से खदेड़ने का काम किया।” जबकि चिली की पुलिस का कहना है कि ”उसने टियर्स गैस और वाटर कैनन का उपयोग उन 100 प्रदर्शनकारियों पर किया, जिन्होंने बैरिकेटस बना कर सड़कों पर फायर करना शुरू कर दिया था।” इस दौरान एक अफसर घायल हुआ और 8 लोगों को हिरासत में लिया गया।

11 सितम्बर को भी दसो हजार लोगों ने सल्वाडोर अलेंदे सरकार के तख्तापलट की याद में रैलियां निकाली।

राजधानी सेनटियागो में हुए एक समारोह में चिली के राष्ट्रपति सेबसिटयन पिनेरा ने कहा- ”चालीस साल बाद भी भले ही हम सबकुछ भूले नहीं, मगर अतीत के कडुवे अनुभव से निकलें।” उन्होंने 1973 से 1990 तक पिनोशे की तानाशाही के दौरान किये गये मानवाधिकारों के उल्लंघन और दमन के कार्यवाही की निंदा की।

पिनोशे के द्वारा अमेरिकी सहयोग से अलेंदे सरकार का तख्तापलट किये जाने के बाद चिली में वामपंथी संगठनों, ट्रेड यूनियनों और जनसंगठनों को बुरी तरह कुचला गया। अलेंद्र समर्थक और वामपंथियों की बड़े ही सुनियोजित तरीके से हत्यायें की गयीं। ‘रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट मोमेण्ट फार द रिवोल्यूशनरी लेफ्ट’ के न्यूज पेपर ‘पूनतो फाइनल’ के पूरे कर्मचारियों को उनके कार्यालय में घुस कर गोली मार दी गयी। सेनटियागो के नेशनल फुटबाल स्टेडियम को सेना ने यातना शिविर में बदल दिया, जहां सैंकडों लोगों की हत्यायें की गयीं।

इस तख्तापलट के मानसिक एवं शारीरिक यातना को झेलने वाले ऐडम ने 1998 में ‘इन्डिपेनडेन्ट’ के एक आलेख में बताया था कि ”वहां दो कतारें बनी थीं, जिन्हें हम ‘जीवन की कतार’ और ‘मृत्यु की कतार’ कहा करते थे। एक कतार बाहर जाती थी, उस स्टेडियम से दूर, मगर, दूसरी कतार अंदर की ओर जाती थी।” जहां जिंदगी नहीं, यातना से भरी मृत्यु थी।

श्री शाश के अनुसार ”वहां उन्हें दस दिनों तक रखा गया। उस दौरान 400 से 600 लोगों को गोली मारी गयी। जहां गोली मारी जाती थी, वह जगह, उस जगह से थोड़ी दूरी पर थी, जहां वो अपनी पत्नी के साथ डरे-सहमे से बैठे रहते थे।” उन्होंने बताया- ”पनोचे मजदूर वर्ग के नेतृत्वकर्ताओं और ऐसे बुद्धिजीवियों के पूरी पीढ़ी को खत्म करने की कोशिश कर रहा था।” जिसे अमेरिका का समर्थन हासिल था। अलेंदे सरकार का तख्तापलट उसकी साजिश थी।

अलेंदे की सरकार ने चिली में कर्इ महत्वपूर्ण ऐसे सुधार किये, जिसे अमेरिकी सरकार और देश के प्रतिक्रियावादी स्वीकार नहीं कर सके। उन्होंने देश के कर्इ महत्वपूर्ण उधोग -ताम्बे के खदान और बैंकिंग क्षेत्रों का राष्ट्रीयकरण कर दिया। साथ ही उन्होंने भूमि सम्बंधी सुधार भी किये। शिक्षा, आवास और स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के क्षेत्र में भी वे ऐसे ही सुधार के पक्षधर थे। आज विकास के जरिये जिस समाजवादी समाज को लातिनी अमेरिकी देशों में सम्मानित जगह मिल गयी है, अलेंदे ने उसी सोच के तहत चिली के निर्माण की योजना की शुरूआत की थी। उन्होंने क्यूबा से भी अपने सम्बंधों की पुर्नस्थपना की।

उस समय अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन थे। अमेरिका के नेशनल सिक्यूरिटी सलाहकार हैनरी कीसिंजर ने चिली के संदर्भ में कहा था- ”मेरी समझ में यह नहीं आ रहा है, कि क्यों हम एक देश को, अपने ही लोगों की गैरजिम्मेदाराना हरकतों की वजह से, उसे खड़े-खड़े कम्युनिस्ट बनते हुए देखें?” और चिली की अलेंदे सरकार को तख्तापलट की साजिशों को अंजाम दिया गया।

अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन ने सीआर्इए को चिली की अर्थव्यवस्था को तोड़ने, उसे तहस-नहस करने का आदेश देते हुए कहा कि ”चिली की अर्थव्यवस्था की बुरी स्थिति बना दो।” अमेरिकी सरकार ने चिली पर आर्थिक प्रतिबंधों को थोप दिया। सीआर्इए ने वहां राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने के लिये अमेरिकी समर्थक प्रतिक्रियावादी ताकतों को संगठित किया और सरकार विरोधी आंदोलनों एवं हड़तालों को भारी वित्तीय सहयोग दिये। सेना को उसने तख्तापलटने का आदेश दिया।

चिली में सेना को सत्ता संभाले चंद सप्ताह भी नहीं हुए होंगे, कि जनरल अगुस्तो पिनोशे ने ब्रेड की कीमत को 11 एसकुदो (चिली की मुद्रा) से 40 एसकुदो कर दिया। चिली की आम जनता सक्ते में आ गयी। खाधान्न की कीमतें आसमान छूने लगीं। आर्थिक स्थिरता और मुद्रास्फिती को दूर रखने के लिये कर्मचारियों के वेतन को रोक दिया गया। देश की आम जनता गरीबी की चपेट में आती चली गयी। एक साल से भी कम समय में चिली में बे्रड की कीमत में 36 गुणा की वृद्धि हो गयी। देश की 85 प्रतिशत जनसंख्या देखते ही देखते गरीबी की सीमारेखा के नीचे चली गयी।

अर्थव्यवस्था को सदमें में डाल देने की यह योजना अमेरिका के शिकागो में, वहां के इकोनामी ग्रूप -‘शिकागो ब्वायज़’ के द्वारा बनार्इ गयी।

Similar questions