चैन छीनता हुआ मोबाइल पर निबंध
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It is an irony that the computers and mobile phones were invented to save time. On the other hand, they have become a nuisance, significantly reducing productivity. A research report found that teens in the US spend on an average 9 hours everyday on their phone. Research has also found that children today are much more stressed, anxious primarily due to the overexposure to social media and their smartphones. You should make use of such data and I am sure that you can write a nice piece.
आजकल मोबाइल हमारे जीवन का एक अटूट अंग बन गया है। मोबाइल की घंटी बजने के लिए कोई समय नहीं है। वह दिन, में रात में, जब आप कहीं बाहर सैर पर गए हैं, जब आप घर में हैं, काम में व्यस्त हैं, सो रहे हैं या जाग रहे हैं, कभी भी घंटी बजा सकता है।
ऐसे तो उसकी घंटी सुनकर बड़ी खुशी होती है कि कोई हमारा मित्र है जो हमसे बात करना चाहता है। परन्तु कोई भी चीज़ एक सीमा तक ठीक लगती है। अगर हम किसी से बात नहीं करना चाहते हैं, या एकांत में रहना चाहते हैं तो वह हमारे चैन को भंग करता है।
मोबाइल में मेसेज देखने की हमें इतनी आदत हो जाती है कि हमारा ध्यान हमेशा उसकी ओर आकर्षित रहता है। हम इतनी उत्सुकता से नयी मेसेज का इंतज़ार करते रहते हैं कि हमारा किसी और काम में मन नहीं लगता। बार बार मेसेज देखने का मन करता है। अगर कोई मेसेज नहीं आती है तो हम उदास हो जाते हैं।
मोबाइल से फोटो खींचना, विडियो गेम खेलना, मित्रों से देर तक बातें करना आदि हमारे लिए अधिक आकर्षक हो जाते हैं और उनके बिना हम रह नहीं पाते हैं। जिससे समय का सही उपयोग नहीं कर पाते हैं। इतना ही नहीं, लोग सड़क पर, अपने वाहनों में भी मोबाइल पर बात करे बिना नहीं रह पाते हैं जिससे अन्य लोगों को असुविधा होती है। रिचार्ज पर अधिक धन खर्च होता है। इस प्रकार मोबाइल हमारे चैन को छीन लेता है।