(च) निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
(i) ये जो है एक छोटा-सा बस्ता
इल्म के फूलों का गुलदस्ता
(ii) नवजीवन की आस तुम्हीं हो
बनता हुआ इतिहास तुम्हीं हो
जितना गहरा अँधियारा हो
उतने ऊँचे दीप उभारो
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सभी ओर दिखलाई दी बस,
अंधकार की ही छाया,
छोटी सी बच्ची को ग्रसने
कितना बड़ा तिमिर आया।
ऊपर विस्तृत महाकाश में
जलते से अंगारों से,
झुलसी जाती थी आँखें
जगमग जगते तारों से।
शब्दार्थ –
ग्रसना – निगलना
तिमिर – अंधकार
व्याख्या – कवि कहता है कि चारों ओर बस अंधकार ही अंधकार दिखाई दे रहा था जिसे देखकर ऐसा लगता था जैसे कि इतना बड़ा अंधकार उस मासूम बच्ची को निगलने चला आ रहा था। कवि कहता है कि बच्ची के पिता को ऊपर विशाल आकाश में चमकते तारे ऐसे लग रहे थे जैसे जलते हुए अंगारे हों। उनकी चमक से उसकी आँखें झुलस जाती थीं। ऐसा इसलिए होता था क्योंकि बच्ची का पिता उसकी चिंता में सोना भी भूल गया था जिस कारण उसकी आँखे दर्द से झुलस रही थी।
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