Hindi, asked by aman123498, 1 year ago

चुनाव परिणाम पर अनुच्छेद हिन्दी में ​

Answers

Answered by Anonymous
3

Answer:

आएगा तो मोदी ही।

आ गया मोदी।

Answered by ronak960
1

चुनाव शब्द दो शब्दों को मिलाकर बनाया गया है, चुन और नाव । चुनाव की प्रक्रिया के तहत जनता एक ऐसे नेता रूपी नाव को चुनती है जो जनता को विकास की वैतरणी पार करा सके । भारत में चुनावों का इतिहास पुराना है । देश में पहले जब राजाओं और सम्राटों का राज था, उस समय भी चुनाव होते थे । राजा और सम्राट लोग भावी शासक के रूप में अपने पुत्रों का चुनाव कर डालते थे । उदाहरण के तौर पर राजा दशरथ ने अपने ज्येष्ठ पुत्र श्री राम का चुनाव किया था जिससे वे गद्दी पर बैठ सके। यह बात अलग है कि कुछ लोचा होने के कारण श्री राम गद्दी पर नहीं बैठ सके ।

ADVERTISEMENTS:

राजाओं और सम्राटों द्वारा ऐसी चुनावी प्रक्रिया में जनता का कोई रोल नहीं होता था। देश को जब आजादी नहीं मिली थी और भारत में अंग्रेजी शासन का झोलझाल था, उन दिनों भी चुनाव होते थे । तत्कालीन नेता अपने कर्मो से अपना चुनाव खुद ही कर लेते थे । बाद में देश को आजादी मिलने का परिणाम यह हुआ कि जनता को भी चुनावी प्रक्रिया में हिस्सेदारी का मौका मिलने लगा । नेता और जनता, दोनों आजाद हो गए। जनता को वोट देने की आजादी मिली और नेता को वोट लेने की । वोट लेन-देन की इसी प्रक्रिया का नाम चुनाव है जो लोकतंत्र के स्टेटस को मेंटेन करने के काम आता है ।

परिवर्तन होता है इस बात को साबित करने के लिए सन १९५० से शुरू हुआ ये राजनैतिक कार्यक्रम कालांतर में सारेकृतिक कार्यक्रम के रुप में स्थापित हुआ । सत्तर के दशक के मध्य तक भारत में चुनाव हर पाँच साल पर होते थे । ये ऐसे दिन थे जब जनता को चुनावों का बेसब्री से इंतजार करते देखा जाता था । बेसब्री से इंतजार के बाद जनता को एक अदद चुनाव के दर्शन होते थे ।

पाँच साल के अंतराल पर हुए चुनाव जब खत्म हो जाते थे तब जनता दुखी हो जाती थी । जैसे-जैसे समय बीता, जनता के इस दुःख से दुखी रहने वाले नेताओं को लगा कि पाँच साल में केवल एक बार चुनाव न तो देश के हित में थे और न ही जनता के हित में। ऐसे में पाँच साल में केवल एक बार वोट देकर दुखी होने वाली जनता को सुख देने का एक ही तरीका था कि चुनावों की फ्रीक्वेंसी बढ़ा दी जाय ।

नेताओं की ऐसी सोच का नतीजा यह हुआ कि नेताओं ने प्लान करके सरकारों को गिराना शुरू किया जिससे चुनाव बिना रोक-टोक होते रहें । नतीजतन जनता को न सिर्फ केन्द्र में बल्कि प्रदेशों में भी गिरी हुई सरकारों के दर्शन हुए । नब्बे के दशक तक जनता अपने वोट से केवल नेताओं का चुनाव करती थी जिससे उन्हें शासक बनाया जा सके । तब तक चुनाव का खेल केवल सरकारों और नेताओं को बनाने और बिगाड़ने के लिए खेला जाता रहा ।

कुछ चुनावी विशेषज्ञ यह मानते हैं कि इतिहास अपने आपको दोहराता है, इस सिद्धांत का मान रखते हुए चुनाव की प्रक्रिया का वृत्तचित्र अब पूरा हो गया है। ऐसे विशेषज्ञों के कहने का मतलब यह है कि आज के नेतागण पुराने समय के राजाओं जैसे हो गए हैं और अपने पुत्र-पुत्रियों को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त कर लेते हैं। वैसे इस विचार के विरोधी विशेषज्ञ मानते हैं कि नेताओं के पुत्र-पुत्रियों को जिताने के लिए चूंकि जनता वोट कर देती है इसलिए आजकल के नेताओं को पुराने समय के राजाओं और सम्राटों जैसा मानना लोकतंत्र की तौहीन होगी। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि भारतीय चुनाव दुनियाँ का सर्वश्रेष्ठ चुनाव है।


aman123498: ਠੈਨਕੂ
aman123498: Please follow me
Similar questions