चा-नो-यू की पूरी प्रकिया का वर्णन अपने शब्दों में करते हुए लिखिए कि उसे झेन परंपरा की अनोखी देन क्यों कहा गया है?
Answers
यह चा-नो-यू परंपरा जापान में निभाई जाती है | जापान में चाय पीने की विधि को चा- नो- यू कहते है|
जापान में जहां चाय पिलाई जाती है वहां की सजावट पारंपरिक होती है , उसे चा-नो-यू कहते है| उस स्थान पर एक बार में केवल 3 ही लोगों बैठ कर चाय पीते है| इस स्थान में बहुत शान्ति होती है|
वहां अत्यंत शांति और गरिमा के साथ चाल पिलाई जाती है। इस सेरेमनी में जाने वाले लोगों का मुख्य उद्देश्य शान्ति के साथ कुछ वक्त बिताना होता है| चाय तैयार होने के बाद उसे प्यालों में भरा जाता है और फिर सदस्यों को चाय ऑफर की जाती है|
Answer:
चा-नो-यू जापान में चाय पीने की एक विधि है। इसमें घर की छत पर दफ्ती की दीवारों वाली और तातामी (चटाई) की ज़मीन वाली एक सुंदर पर्णकुटी होती है। मिट्टी के बरतन में भरे हुए पानी से हाथ-पैर धोए जाते हैं और तौलिये से साफ कर बैठा जाता है। .चाजीन. सबको झुककर प्रणाम करता है। अंगीठी सुलगाकर उस पर चायदानी रखी जाती है। शांत वातावरण में चायदानी के पानी का उबाल भी सुनाई देता है। चाय तैयार होने पर उसे प्यालों में भरा जाता है। इसमें तीन आदमियों से अधिक को प्रवेश नहीं दिया जाता है। प्यालों में दो बूंट से ज्यादा चाय नहीं होती है और लोग होंठों से प्याला लगाकर एक-एक बूंद चाय पीते रहते हैं। करीब डेढ़ घंटे तक चुस्किों का यह सिलसिला चलता रहता है। इस गतिविधि से दिमाग की रफ्तार धीमी पड़ने लगती है तथा थोड़े समय बाद पूरी तरह से बंद हो जाती है। ऐसा लगता है कि सब अनंतकाल में जी रहे हो। जापानियों को झेन परंपरा की यह बहुत बड़ी देन है। इससे लोग अपने व्यस्ततम जीवन में नई गति, शांति और ताजगी पा लेते हैं।