चौराहे पर भीख मांगने वाले बच्चों की आबादी दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है, विषय पर दो दोस्तों के बीच संवाद लिखें
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पहला व्यक्ति : भाई, आजकल हमारे देश में भिखारियों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।
दूसरा व्यक्ति : हाँ भाई, सही कह रहे हो। आजकल मैं देखता हूं कि हर सिग्नल पर भिखारी लोग का जमघट जमा रहता है। जैसे ही कोई गाड़ी रुकती है, वे लोग गाड़ी के आगे भीख मांगने आ जाते हैं। यही हालत धार्मिक स्थलों की है, वहाँ पर बाहर भिखारियों की भीड़ लगी रहती है।
पहला व्यक्ति : इसमें ज्यादातर प्रोफेशनल भिखारी होते हैं, जो शारीरिक दृष्टि से मजबूर या असहाय नही होते, बल्कि खुद को झूठ-मूठ का मजबूर दिखाते हैं। इन लोगों ने अपना भीख मांगने को अपना धंधा बना रखा है।
दूसरा व्यक्ति : हाँ, मैंने भी गौर किया है। जो मजबूर-असहाय लोग होते हैं, वे लोग सिग्नलों पर नहीं मिलते। वे लोग कहीं आ-जा नहीं सकते।
पहला व्यक्ति : हमारी सरकार को इन भिखारियों की भीख मांगने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाना चाहिए और इन भिखारियों के खिलाफ एक अभियान चलाना चाहिए।
दूसरा व्यक्ति : इससे क्या होगा?
पहला व्यक्ति : इससे ये होगा कि जो मजबूर असहाय व असहाय व्यक्ति हैं, उनको अलग किया जा सके और जिन्होंने भीख मांगने को अपना व्यवसाय बना रखा हो, उनकी पहचान की जा सके। फिर उन्हें काम करने के लिए प्रेरित किया जाए, ना करने पर उन्हें दंडित किया जाए।
दूसरा व्यक्ति : और उन लोगों का क्या जो मजबूर और असहाय हैं, भीख मजबूरी में मांगते हैं।
पहला व्यक्ति : इन मजबूर व असहाय लोगों का आजीविका व जीवन-यापन के लिए सरकार को आर्थिक सहायता का प्रबंध करना चाहिए।
दूसरा व्यक्ति : तुम्हारा यह विचार बहुत ही अच्छा है। हमारी सरकार इस बारे में कुछ करें।
पहला व्यक्ति : हम उम्मीद करते हैं कि कुछ हो। मैंने इस संबंध में समाज कल्याण मंत्रालय को एक पत्र लिखा है। देखते हैं क्या जवाब आता है।
दूसरा व्यक्ति : तब ठीक है, बहुत अच्छा किया।