चींटी हे समाजिक प्राणी;वह श्रमजीवी वह सुनागरिक
देखा चींटी कोउसके जी को?
भूरे बालों की सी कतरन;छिपा नहीं उसका छोटापन
वह समस्त पृथ्वी पर निर्भय;विचरण करती श्रम में तन्मय
वह जीवन की चिनगी अक्षय:वह भी क्या देहि है तिल सी
प्राणों की रिलमिल झिलमिल सी;दिन भर में वह मीलो चलती
अथक कार्य से कभी ना टहलती।
प्रश्न- कवि ने चींटी को श्रमजीवी क्यों कहा है?
प्रश्न- इसका व्यास में चींटी की कोन सी विशेषताएं बताई गई हे?
प्रश्न- इस काव्यांश में एक ही लय के दो शब्द है वह शब्द लिखें।
प्रश्न- दिन भर,निर्भय विलोम शब्द बताएँ
प्रशन- काव्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
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Explanation:
1.कवि ने चींटी को श्रमजीवी इसलिए कहा है. आशीर्वाद प्राप्त किया। प्रणाम की महत्ता निरूपित करते क्योंकि वह सदैव श्रम में लीन रहकर जीती है।
2.इस अवतरण में कवि ने चींटी जैसे लघु प्राणी की परिश्रमशीलता का वर्णन करके मनुष्य को उससे प्रेरणा प्राप्त करने का सन्देश दिया है।
3.इन पंक्तियों में कवि ने चींटी के गुणों और उसकी क्रियाशीलता का वर्णन किया है।
5.निर्भय =सभय, भयभीत
दिन भर=
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