चिट्ठियों का हमारे जीवन में क्या महत्व है।
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चिट्ठियों की बदौलत लाखों लोगों की ज़िंदगी और उनके व्यवहार में बदलाव आया है। मसीही यूनानी शास्त्र की ज़्यादातर किताबें चिट्ठियों के रूप में ही लिखी गयी थीं। चाहे नए लोगों का विश्वास बढ़ाना हो, दोस्तों की खैर-खबर पूछनी हो, खास ज़िम्मेदारियों में लगे भाई-बहनों का हौसला बढ़ाना हो, परीक्षाओं का सामना करनेवालों को मज़बूत करना हो, कलीसिया के इंतज़ाम के बारे में जानकारी भेजनी हो, चिट्ठियाँ एक असरदार माध्यम है।—1 थिस्स. 1:1-7; 5:27; 2 पत. 3:1, 2.
चिट्ठी लिखना गवाही देने का भी एक बढ़िया तरीका है। कुछ इलाकों में, बहुत-से लोग या तो कड़ी सुरक्षावाली इमारतों में या फिर ऐसे होटलों में रहते हैं, जहाँ वे लंबे-समय के लिए कमरे किराए पर लेते हैं। ऐसी जगहों में रहनेवालों तक खुशखबरी पहुँचाना आसान नहीं है। फिर कुछ ऐसे भी लोग हैं जो ज़्यादातर वक्त घर से बाहर रहते हैं, इसलिए घर-घर के प्रचार में हम उनसे नहीं मिल पाते। और कई लोग ऐसे दूर-दराज़ इलाकों में रहते हैं, जहाँ पहुँचना बहुत मुश्किल है।
कभी-कभी आप शायद बीमारी, खराब मौसम या कर्फ्यू की वजह से अपने घर की चारदीवारी से बाहर ना निकल पाएँ। उस वक्त क्या आप अपने किसी रिश्तेदार को या ऐसे शख्स को जिसे आपने किसी दूसरे मौके पर गवाही दी थी, आगे और गवाही देने के लिए चिट्ठी लिख सकते हैं? क्या आपका बाइबल विद्यार्थी दूसरे इलाके में जाकर बस गया है? ऐन मौके पर मिलनेवाली आपकी चिट्ठी, चिराग में घी का काम करेगी और उसकी आध्यात्मिक दिलचस्पी की ज्योति को जलाए रखेगी। नए शादी-शुदा जोड़े, या जो हाल ही में माँ-बाप बने हैं या जिनके किसी अज़ीज़ की मौत हो गयी है, ऐसे लोगों को भी आप चिट्ठी लिखकर उनके हालात के मुताबिक बाइबल से अच्छा मशविरा दे सकते हैं।
चिट्ठी के ज़रिए गवाही देना
अगर आप गवाही देने के लिए एक ऐसे शख्स को लिख रहे हैं जिससे आप कभी नहीं मिले, तो खत में सबसे पहले अपना परिचय दीजिए। आप बता सकते हैं कि आप एक अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवा के काम में हिस्सा ले रहे हैं। अगर सही लगे, तो आप यह भी बता सकते हैं कि आप यहोवा के एक साक्षी हैं। बताइए कि आप खुद मिलने के बजाय चिट्ठी क्यों लिख रहे हैं। ऐसे लिखिए मानो आप उससे आमने-सामने बात कर रहे हों। साथ ही, ख्याल रखें कि एक अनजान इंसान को अपने बारे में उतनी ही जानकारी दें जितनी सही हो, क्योंकि बाइबल हिदायत देती है: “सांपों की नाईं बुद्धिमान और कबूतरों की नाईं भोले बनो।”—मत्ती 10:16.
आप अपनी चिट्ठी में उन बातों को शामिल कर सकते हैं जो आप उनसे खुद मुलाकात करने पर कहते। आप रीज़निंग किताब में दी गयी पेशकश को या फिर हाल की हमारी राज्य सेवकाई में छपी बाइबल पर आधारित किसी पेशकश को इस्तेमाल कर सकते हैं। आप एक सवाल उठा सकते हैं और उसके जवाब के बारे में सोचने के लिए उसे उकसा सकते हैं। कुछ प्रचारक सीधे-सीधे यह लिखते हैं कि वे बाइबल के बारे में सवालों के जवाब देने का मुफ्त कार्यक्रम चला रहे हैं और इसके लिए वे हमारी छपी किसी अध्ययन की किताब के कुछ शीर्षकों के नाम भी देते हैं। इस किताब के पेज 73 पर गवाही देने के लिए लिखी गयी एक चिट्ठी, नमूने के तौर पर दी गयी है। इससे आपको थोड़ा-बहुत अंदाज़ा लग सकता है, लेकिन अच्छा होगा अगर आप अलग-अलग विषयों पर चिट्ठी लिखें, वरना ऐसा होगा कि लोगों को बार-बार एक ही ढंग की चिट्ठियाँ मिलेंगी।
कुछ लोग अजनबियों से मिली लंबी-चौड़ी चिट्ठी को पढ़ने में हिचकिचाते हैं। इसलिए अक्लमंदी इसी में है कि आपकी चिट्ठी छोटी हो। पढ़नेवाला पढ़ते-पढ़ते उकता ना जाए, इसलिए उतना ही लिखिए जितना पढ़कर उसकी दिलचस्पी बनी रहे। अच्छा होगा कि आप उसे सभाओं में हाज़िर होने के लिए चिट्ठी के साथ किंगडम हॉल में आने का छपा हुआ न्यौता भेजें। इसके अलावा, आप एक ट्रैक्ट, ब्रोशर, प्रहरीदुर्ग या सजग होइए! का एक अंक भी भेज सकते हैं, साथ ही यह बता सकते हैं कि अगर वे चाहें तो इन पत्रिकाओं को उन तक नियमित रूप से पहुँचाया जा सकता है। या आप उनसे यह पूछ सकते हैं कि अगर उनकी इच्छा हो, तो कोई उनके घर आकर इस विषय पर आगे चर्चा कर सकता है।
भारत में प्रतिदिन साढ़े चार करोड़ चिट्ठियाँ डाक में डाली जाती हैं। पत्रों की उत्सुकता सभी को होती है। अगर हम पत्रों की गहराई में जाएँ, तो हमें पता चल जाएगा कि विश्व में ऐसा कोई नहीं, जिसमें कभी पत्रों के लिए कोई उत्सुकता न रही हो। हमारे सैनिक तो पत्रों का जिस उत्सुकता से इंतजार करते हैं, उसकी कोई मिसाल नहीं है।