Psychology, asked by lilharesneha9, 1 month ago

'चेतनशील बुद्धिजीविता' से क्या आशय है ?​

Answers

Answered by ck9242955
9

मनुष्य के सामने कभी ना कभी किसी प्रकार की समस्या जरूर आती है। समस्या के समाधान के लिए वह किसी ने किसी प्रकार का उपाय जरूर सोचता है।उसकी इस प्रकार सोचते और विचार करने की क्रिया को चिंतन कहते हैं।

चिंतन की परिभाषाएं (definition of thinking)

चिंतन की परिभाषा विभिन्न मनोवैज्ञानिकों के अनुसार निम्नलिखित हैं।

रॉस के अनुसार

” चिंतन मानसिक क्रिया का ज्ञानात्मक पहलू है।या मन की बातों से संबंधित मानसिक क्रिया है।”

वैलेंटाइन के अनुसार

“चिंतन शब्द का प्रयोग उस क्रिया के लिए किया जाता है। जिसमें श्रृंखलाबद्ध विचार किसी लक्ष्य या उद्देश्य की ओर अविराम गति से प्रवाहित होते हैं”

रायबर्न के अनुसार चिंतन की परिभाषा

“चिंतन इच्छा संबंधी क्रिया है।जो किसी असंतोष के कारण आरंभ होती है।और प्रयास के आधार पर चलती हुई स्थिति पर पहुंच जाती है जो इच्छा को सन्तुष्ट करती है।”

चिंतन की विशेषताएं (characteristics of thinking)

चिंतन की विशेषताएं निम्नलिखित है।

चिंतन मानव का एक विशिष्ट गुण है ।

चिंतन एक मानसिक प्रक्रिया है ।

चिंतन किसी वर्तमान या भावी आवश्यकता को पूर्ण करने के लिए एक प्रकार का व्यवहार है।

चिंतन के दौरान किसी भी समस्या का समाधान खोजने का प्रयत्न करते हैं।

चिंतन किसी भी व्यक्ति की सहायता करने के लिए हमें समाधान प्रस्तुत करती है।

चिंतन के प्रकार(kinds of thinking)

चिंतन के चार प्रकार निम्नलिखित हैं।

(१) प्रत्यक्षात्मक चिंतन(perceptual thinking)

इस प्रकार के चिंतन में पूर्व आधारित वस्तुओं के आधार पर यह चिंतन किया जाता है। उदाहरण के रूप में देखा जाए तो जब किसी बच्चे के माता-पिता बाजार जाते हैं। और उसके लिए खिलौना ले करके आते हैं। तो बच्चे की आदत हो जाती है।उन वस्तुओं को प्राप्त करने की और वह जब भी अपने माता-पिता को बाजार से वापस आते हुए देखता है।तो तुरंत उनके पास जाता है।यह चिंतन विशेष रूप से पशुओं और बालकों में पाया जाता है इसमें भाषा और नाम का प्रयोग नहीं किया जाता है।

(२)प्रत्ययात्मक चिंतन (conceptual thinking)

इस प्रकार के चिंतन में पूर्व निर्मित प्रत्ययोके आधार पर चिंतन किया जाता है। जिसके आधार पर भविष्य की किसी निर्णय पर पहुंचा जा सकता है। इस प्रकार से देखा जाए जैसे बालक किसी कुत्ते को देखकर अपने मन में किसी भी प्रकार का विचार निर्माण कर लेता है ।और भविष्य में वह जब उसी कुत्ते या किसी अन्य कुत्ते को दे देखता है।तो उसकी ओर संकेत करके कहता है कि यह कुत्ता है ।

(३) कल्पनात्मक चिंतन(imagininative thinking)

कल्पनात्मक चिंतन के अंतर्गत इस प्रकार का चिंतन का संबंध पूर्व अनुभव के आधार पर भविष्य से होता है।जब बच्चे के माता-पिता बाजार जाते हैं।तो वह कल्पना कर लेता है कि उसके लिए वह बाजार से काफी जरूर लाएंगे। इस चिंतन में भाषाओं नाम का प्रयोग नहीं किया जाता है।

(४) तार्किक चिंतन(logical thinking)

यह एक प्रकार से उच्च स्तर का चिंतन माना जाता है। इसका संबंध की भी समस्या के समाधान से होता है।जान डीवी ने इसको विचारात्मक चिंतन भी कहा है। चिंतन की क्रिया में अनेक प्रकार की क्रिया शामिल होती हैं।इसमें प्रमुख भूमिका रहती है प्रयास एवं भूल कि। इसमें विचार का संकेत रहता है। सड़कों पर हम जब यह लिखा हुआ देखते हैं।कि सावधानी हटी दुर्घटना घटी ।इसमें सावधान रहने का संकेत है। चिंतन ज्ञानात्मक दिया है। इसमें प्रत्यय तथा कल्पनात्मक ज्ञान नहीं होता है।प्रतीकों का प्रयोग इसमें किया जाता है

बुद्धिजीवी

यह पोस्ट मैं अपने कुछ पुराने सहकर्मियों को ध्यान में रखते हुए लिख रहा हूँ। आज किसी कारणवश उनकी याद आ गयी। अब ऐसा भी नहीं है कि अब से पहले उनकी याद नहीं आई। सहकर्मी तो जीवन का हिस्सा हो जाते हैं; कुछ यादें सुखद होती हैं तो कुछ मन में रोष व क्रोध उत्पन्न करती हैं; लेकिन जो भी हो उनकी याद तो गाहे-बगाहे आती ही रहती है। ख़ैर, आज उनकी याद आने का कारण उनका व्यहवार-विशेष है। जब मैं उनके साथ काम करता था तो मैनें मन-ही-मन उनके लिये एक शब्द गढ़ा था "pseudo-intellectuals"। मैनें यह शब्द "गढ़ा" था, ऐसा कह कर मैं इस शब्द के सृजक होने का दावा नहीं कर रहा हूँ, लेकिन जब यह शब्द मेरे मन में आया था तो उससे पहले मैनें कभी भी इसे कहीं ना तो सुना था और ना पढ़ा था। परंतु मुझे बाद में ज्ञात हुआ कि यह शब्द बहुत समय पहले से प्रयोग में रहा है। अर्थात इस शब्द की आवश्यकता भी बहुत समय से रही है।

बहरहाल, मेरे कुछ सहकर्मी ऐसे थे जिन्हें मैं "pseudo-intellectuals" की श्रेणी में रखता था। आप पहली मुलाकात में उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते थे। वे भाषा और ज्ञान के भंडार जान पड़ते थे। आप किसी भी विषय पर बात करें तो उस पर उनकी एक नपी-तुली राय होती थी (और बहुत संभव है आप पाएं कि अक्सर यह राय उसी विषय पर आपकी व्यक्तिगत राय से मुख्तलिफ़ है!) अपनी राय के पक्ष में वे बहुत-से तथ्य आपके सामने रखेंगे और दस-पाँच किताबों, लेखकों, फ़िल्मों, निर्देशको, अख़बारों और पत्रिकाओं के नाम बता कर उन तथ्यों को समर्थित भी कर देंगे। आप बुद्धु की तरह उनका मुँह देखने के अलावा और कुछ नहीं कर पाएंगे। आपको लगेगा कि आपने तो अपने जीवन को व्यर्थ कर दिया; ज़रा-सा भी ज्ञान और बुद्धि अर्जित नहीं की। सामने बैठे व्यक्ति को देखिये कितनी ज्ञानपूर्ण बातें करता है। कैसा बढ़िया और परिष्कृत व्यक्ति है।

?

Answered by shilpa85475
0

चेतनशील बुद्धिजीविता' से क्या आशय-

  • इसमें अनेक सिद्धान्तों, तर्कों आदि के आधार पर चिंतन किया जाता है। यह सोच हर कोई नहीं कर सकता। यह सोच का सबसे ऊंचा रूप है। बुद्धिजीवी अक्सर इस प्रकार की सोच का उपयोग करते हैं। अनुमति देना आंतरिक क्रिया का संज्ञानात्मक पहलू है। या मन के प्रभाव से संबंधित आंतरिक क्रिया। "
  • "चिंतन इच्छा का एक कार्य है। जो कुछ असंतोष के कारण शुरू होता है। इसका कोई विवरण नहीं है जबकि कोई बौद्धिक वर्ग नहीं है!
  • बुद्धिजीवी बच्चे भी हो सकते हैं और बड़े भी कहीं के हो सकते हैं, लेकिन जब आप उनसे बात करेंगे तो उनके जवाबों को सही-सही मापा जाएगा जिसमें वे अपनी बुद्धिमत्ता दिखाते हैं! बुद्धि का अर्थ है अपनी पढ़ाई को समझने की शक्ति |
  • बुद्धिमान जीवित वर्ग द्वारा इसका अर्थ है कि वर्ग शिक्षित, सामाजिक, संस्कारी है, इस वर्ग में उपदेशक, धूर्त आते हैं कलम, कस्तूरी आदि। यह वर्ग समाज के लिए उपशमन का स्रोत है।

#SPJ3

Similar questions