चाँद की पोशाक किस दिशा तक फैली हुई है ?
Answers
➲ चाँद की पोशाक चारों दिशाओं में फैली हुई है।
⏩ ‘शमशेर बहादुर सिंह’ द्वारा रचित कविता “चाँद से थोड़ी गप्पें” कविता में कवि कहता है कि चाँद की पोशाक चारों दिशाओं में फैली हुई है। आकाश ही चाँद का वस्त्र है, अर्थात चाँद ने आकाश रूपी पोशाक को अपने ऊपर ओढ रखा है। चूंकि आकाश का विस्तार चारों दिशाओं में होता है इसलिये चाँद की आकाश रूपी पोशाक चारों दिशाओं में फैली हुई है। आकाश में जो तारे चमक रहे हैं वो इस चाँद की इस आकाश रूपी पोशाक में जड़े हुये सितारे की तरह हैं। चाँद का पूरा शरीर ही आकाश रूपी पोशाक से ढका है। केवल चाँद का सुंदर-सलोना, गोरा सा मुखड़ा ही इस पोशाक से बाहर दिखायी दे रहा है।
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चाँद की पोशाक चारों दिशाओं में फैली हुई है, तुम कैसे सही मानते हो। विस्तार पूर्वक बताओ।
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