'चाँदी की दीवारों' से कवि का क्या तात्पर्य है?
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Explanation:
हम बच्चे हैं तो क्या कविता गोपालदास "नीरज" द्वारा लिखी गई है|
कवि ने इस कविता में आशावादी विचारों से परिवर्तन का अस्तित्व प्रदान करने के लिए हिम्मत का वर्णन किया गया है।
हम बच्चे है तो क्या हुआ , हम अपने हिंदोस्तान को ने विचारों के साथ बदल कर छोड़ेंगे| इंसान है हम अपने ने विचारों से दुनिया का भगवान बदलकर छोड़ेंगे |
चाहे हमारे रास्ते में कितनी भी मुश्किलें आ जाए हम डरेंगे नहीं | यह आंधी-तूफान तो खिलौने हैं हम इन के साथ खेल कर आगे बढ़ेंगे| देश में पुरानी सोच को बदलकर नई क्रांति लानी है| हिंदोस्तान को देख कर कुछ लोगों की भूख उग रही है , और यहाँ के लोगों की किस्मत कैद है , चांदी की दीवारों में | मिड जाएँगे के देश की खातिर पी यह सामान बदलकर छोड़ेंगे| हम खुशियाँ देंगे , जिनके घर नहीं रोशनी नहीं है | जिनके घर फूल नहीं हँसते वहाँ सचमुच तीर कमान बदलकर छोड़ेंगे|
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