चाँद, खिलौने, माँ, सुंदर, घर, खेल, प्रेम, दोस्त, पक्षी shabdo par kavita
Answers
Answer:
चाँद-सितारों, मिलकर गाओ!
चाँद-सितारे, मिलकर बोले। चाँद-सितारों, मिलकर रोओ! मन से मन की चाह अलग, चाँद-सितारों, मिलकर रोओ
देख के नए खिलौने, खुश हो जाता था बचपन में।
बना खिलौना आज देखिये, अपने ही जीवन में।।
चाभी से गुड़िया चलती थी, बिन चाभी अब मैं चलता।
भाव खुशी के न हो फिर भी, मुस्काकर सबको छलता।।
सभी काम का समय बँटा है, अपने खातिर समय कहाँ।
रिश्ते नाते संबंधों के, बुनते हैं नित जाल यहाँ।।
खोज रहा हूँ चेहरा अपना, जा जाकर दर्पण में।
बना खिलौना आज देखिये, अपने ही जीवन में।
घुटनों से रेंगते-रेंगते, कब पैरों पर खड़ा हुआ, तेरी ममता की छाँव में, जाने कब बड़ा हुआ.. काला टीका दूध मलाई आज भी सब कुछ वैसा है, मैं ही मैं हूँ हर जगह, माँ प्यार ये तेरा कैसा है? सीधा-साधा, भोला-भाला, मैं ही सबसे अच्छा हूँ, कितना भी हो जाऊ बड़ा, "माँ!" मैं आज भी तेरा बच्चा हूँ।
तुम्हारे मुख पर एक ऐसी आभा है,
जिससे हो सकता जगत में उजाला हो।
विरले ही जगत में मुख ऐसे,
समक्ष जिनके चंद्र ने शस्त्र को डाला हों।
तुम्हारी सुंदरता का क्या बखान करूं,
मन करे कि विस्तृत व्याख्यान करूं।
हा तुम हो अति सुंदर नारी,
तुम्हारी सुंदरता रत्नों से प्यारी।
तुम रात पूर्णिमा की हो प्रिये,
जो प्रेमी के मन को लुभाता है।
एक बार तुम्हारा दर्शन हो जिसे,
आमरण सुंदरता का बखान करें।
मन हो कि बड़ा करे कुछ वह,
इस पर विस्तृत व्याख्यान करें।
घर में जो बड़ा होता है,
वो सबके साथ खड़ा होता है,
जो आलसी होता है
वो बिस्तर पर पड़ा होता है.
तनाव लेने वाले का
बाल झड़ा होता है,
इसके हर काम में
कोई बवाल खड़ा होता है.
खेल में भी करियर बनाने लगे है युवा,
अपने हुनर का दम दिखाने लगे है युवा,
जो उनके खेलने के खिलाफ थे
अब उनको भी अपने खेल से चौकाने लगे है युवा।
मौका नहीं मिलता बेटियों को
इस बात का गम है,
जिन बेटियों को मौका मिला
उन्होंने दिखाया अपना दम है.
कुछ भी कर सकती है बेटियां
उन्होंने ये कर के दिखाया है,
कई गोल्ड मेडल लाकर
पूरी दुनिया को बताया है.
मेरा प्यार
कोई तुम्हारी सहेली तो नहीं
कि जब चाहो
तब कर लो तुम उससे कुट्टी
या कोई ईश निंदा का दोषी तो नहीं
कि बिना बहस किए
जारी कर दिया जाए
उसके नाम मौत का फतवा
या फिर
कोई मिट्टी का खिलौना तो नहीं
कि हल्की-सी बारिश आए
और गलकर खो दे वह अपनी अस्मिता
या कोई सूखी पत्तियां तो नहीं
कि छोटी-सी चिंगारी भड़के
और हो जाए वह जलकर खाक
मेरा प्यार
सच पूछो तो
तुम्हारी मोहताज नहीं
तुम्हारे बगैर भी है वह
क्योंकि मैंने कभी तुम्हें केवल देह नहीं समझा
मेरे लिए
देह से परे
कल भी थी तुम
और आज भी हो
मेरा प्यार
इसलिए जिएगा सर्वदा
तुम्हारे लिए
तुम्हारे बगैर भी
उसी तरह
जिस तरह
जी रही है
कल-कल करती नदी।
दूध पानी जैसा यारा अपना दोस्ताना।
देकर जोर से धक्का काम है उठाना।।
उठना गिरना चलना दोस्ती के संग।
रुलाकर बिखेरेंगे अप्रैल फूल के रंग।।
रंगों से सराबोर होता अपना मेल मिलाप।
नई ज़िल्द में लिपटे पुरानी यादों की किताब।।
किताब का हर पन्ना मौज मस्ती की कहे कहानी।
लिखा किस चेहरे को देख तेरे मुंह में था पानी।।
पानी जिस गम से आये वह गम भी हमें बताना।
काम होगा हमारा तुरंत उसे हरिद्वार पहुँचाना।।
पहुँच कहीं ना पाओ तो बेझिझक माँगना साथ।
बैलगाड़ी, साइकिल जो भी हो लाएंगे हाथों हाथ।।
उसके दोस्त ने उसे समझाया
मत रो, फफक-फफककर मत रो
पक्षी क्या कभी रोते हैं?
उसने जवाब दिया, तो क्या मैं पक्षी हूँ?
फिर उसने कुछ रूककर कहा-
लेकिन तुझे क्या पता…
पक्षी भी रोते हैं, रोते हैं, बहुत रोते हैं
और वह फिर से रोने लगा।
Answer: