चिड़िया के बारे में अनुच्छेद
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भारत में पक्षियों की बहुत सी प्रजाति पाई जाती है जिनमें से चिड़िया सबसे छोटी और सुंदर पक्षी है। पुराने समय में यह अक्सर पेड़ो पर और घरों की छतों पर बैठी हुई मिल जाती थी लेकिन अब यह मुश्किल से हीं कहीं देखने को मिलती है। पेड़ो की कटाई और हानिकारक कीटनाशकों के कारण चिड़िया की प्रजाति लुप्त होती जा रही है। चिड़िया को अलग अलग स्थानों पर अलग अलग नाम से बुलाया जाता है जैसे कि गौरेया,चिड़ी,चिमनी आदि।
Explanation:
चिड़िया सफेद और हल्के भूरे रंग की होती है और पूरी दुनिया में पाई जाती है। मादा गौरेया की आँख के पास काला धब्बा होता है जबकि नर गौरेया में यह नहीं होता और वह चटख रंग में पाया जाता है और मादा के मुकाबले ज्यादा आकर्षक होता है। चिड़िया की औसतन आयु 4-7 वर्ष होती है और यह समुह में रहना पसंद करती हैं। यह ज्यादातर इंसानों के पास उनके घरों में ही घौसंले बनाती है और एक समय में 2-4 अंडे देती है। चिड़िया सर्वाहारी होती है। यह अनाज और कई तरह के फूलों के बीज खाती है और साथ ही फसलों के लिए हानिकारक कीड़ो को भी खाती है। यह भोजन की तलाश में मिलों का सफर तय करती हैं। चिड़िया की लंबाई 14-16 सेंटीमीटर होती है और चोंच पीले रंग की होती है। चिड़िया की आँखो पर काला रंग होता हैं और इनके पैर भूरे होते हैं। इसके गले और सिर पर भूरा रंग नहीं होता है। यह चीं- चीं की मधुर आवाज करने वाली पक्षी है और शाम को झुंड के साथ निकलती हैं। इसे सभी तरह की जलवायु पसंद होती है लेकिन यह पहाड़ी इलाकों में कम ही देखने को मिलती है।
समय के साथ साथ चिड़िया की यह नन्हीं प्रजाति विलुप्त होती जा रही है। पेड़ो की कटाई के कारण और घरों की दीवारों में जगह न होने के कारण वह घोंसला नहीं बना पाती और उन्हें रहने का उचित स्थान नहीं मिल पाता है। फसलों में से कीटों को खाते समय फसलों के हानिकारक कीटनाशकों की वजह से उनकी मृत्यु हो जाती है। बिजली की तारों पर बैठने के कारण भी उनकी मृत्यु हो जाती हैं। हम सबको इस प्रजाति को बचाने की जरूरत हैं। हमें छतों पर इनके लिए दाने और पानी की व्यवस्था करनी चाहिए। लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 20 मार्च को गौरेया दिवस मनाया जाता है। हमों पेड़ लगाकर इनके रहने की व्यवस्था करनी चाहिए।
Answer:
चिड़िया सफेद और हल्के भूरे रंग की होती है और पूरी दुनिया में पाई जाती है। मादा गौरेया की आँख के पास काला धब्बा होता है जबकि नर गौरेया में यह नहीं होता और वह चटख रंग में पाया जाता है और मादा के मुकाबले ज्यादा आकर्षक होता है। चिड़िया की औसतन आयु 4-7 वर्ष होती है और यह समुह में रहना पसंद करती हैं। यह ज्यादातर इंसानों के पास उनके घरों में ही घौसंले बनाती है और एक समय में 2-4 अंडे देती है। चिड़िया सर्वाहारी होती है। यह अनाज और कई तरह के फूलों के बीज खाती है और साथ ही फसलों के लिए हानिकारक कीड़ो को भी खाती है। यह भोजन की तलाश में मिलों का सफर तय करती हैं। चिड़िया की लंबाई 14-16 सेंटीमीटर होती है और चोंच पीले रंग की होती है। चिड़िया की आँखो पर काला रंग होता हैं और इनके पैर भूरे होते हैं। इसके गले और सिर पर भूरा रंग नहीं होता है। यह चीं- चीं की मधुर आवाज करने वाली पक्षी है और शाम को झुंड के साथ निकलती हैं। इसे सभी तरह की जलवायु पसंद होती है लेकिन यह पहाड़ी इलाकों में कम ही देखने को मिलती है।
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