Calculate the molarity of pure water at 273 k in hindi
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पानीहमारे जीवन के लिए कितना जरूरी है यह बात हम सबको पता है। पानी की उपयोगिता को समझते हुए हमें इसका संरक्षण करने की बेहद जरूरत है। 22 मार्च को वर्ल्ड वॉटर डे के रूप में मनाया जाता है ताकि व्यस्त दिनचर्या में से एक दिन हमारा ध्यान इस ओर जा सके। यहां जाने पानी से जुड़े कुछ अहम सवाल और उनके जवाब...
जल क्या है?जल ही जीवन है। हम भोजन के बिना एक महीने से ज्यादा जीवित रह सकते हैं, लेकिन जल के बिना एक सप्ताह से अधिक जीवित नहीं रह सकते। कुछ जीवों (जैसे जैली फिश) में उनका 90 प्रतिशत से अधिक शरीर का भार जल से होता है । मानव शरीर में लगभग 60 प्रतिशत जल होता है- मस्तिष्क में 85 प्रतिशत जल है, रक्त में 79 प्रतिशत जल है तथा फेफड़ों में लगभग 80 प्रतिशत जल होता है।
पृथ्वी पर कितना जल है?
पृथ्वी की सतह लगभग 75 प्रतिशत जल से भरी है। लेकिन इसका 97 प्रतिशत समुद्रों में है तथा पृथ्वी का केवल 3 प्रतिशत जल ही पीने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं, इसका अधिकतर हिस्सा या तो धुवीय हिम टोप के रूप में जम जाता है या मृदा में मिल जाता है। अतः हम जो पानी इस्तेमाल करते हैं वह पृथ्वी के सतही जल की कुल मात्रा का केवल 0.5 प्रतिशत है ।
समुद्र का जल नमकीन क्यों होता है?
बारिश का पानी भूमि पर गिरने के साथ वायुमंडल में फैले कार्बन डाइ आक्साइड के सम्पर्क में आने के कारण कुछ अम्लीय हो जाता है। अम्ल पृथ्वी की चट्टानों का कटाव एवं भेदन करता है तथा इनके टूटे हुए हिस्सों को आयनों के रूप में अपने साथ बहाकर ले जाता है। आयन नहरों तथा नदियों के रास्ते समुद्र में चले जाते हैं । जबकि कई विघटित आयनों का उपयोग जीव कर लेते हैं बाकी लम्बे समय के लिए छोड़ दिए जाते हैं, जहां समय के साथ-साथ इनकी मात्रा भी बढ़ती रहती हैं। समुद्री जल में क्लोराइड और सोडियम होता है जिससे समुद्र जल के विघटित आयनों की 90 प्रतिशत से अधिक की प्रतिपूर्ति हो जाती है। समुद्र जल में कुल विघटित नमक का लगभग 3.5 प्रतिशत है। इससे समद्र का जल नमकीन होता है ।
जल प्रदूषण क्या है?
जब झीलों, नहरों, नदियों, समुद्र तथा अन्य जल निकायों में विषैले पदार्थ प्रवेश करते हैं और यह इनमें घुल जाते है अथवा पानी में पड़े रहते हैं या नीचे इकट्ठे हो जाते हैं । जिसके परिणामस्वरूप जल प्रदूषित हो जाता है और इससे जल की गुणवत्ता में कमी आ जाती है तथा जलीय पारिस्थितिकी प्रणाली प्रभावित होती है ।
जल प्रदूषण के प्रभाव
जल प्रदूषण से व्यक्ति ही नहीं अपितु पशु-पक्षी एवं मछली भी प्रभावित होते हैं। प्रदूषित जल पीने, पुनःसृजन कृषि तथा उद्योगों आदि के लिए भी उपयुक्त नहीं हैं। यह झीलों एवं नदियों की सुन्दरता को कम करता है। दूषित जल, जलीय जीवन को समाप्त करता है तथा इसकी प्रजनन - शक्ति को क्षीण करता है।
जल संरक्षण
वर्षों से बढ़ती जनसंख्या, औद्योगिकीकरण में वृद्धि तथा कृषि में विस्तार होने से जल की मांग बढ़ती जा रही है। लिहाजा जल संरक्षण आज की आवश्यकता बन गई है । वर्षा जल संचयन मूल रूप से भवनों की छतों पर इकट्ठा करके भूमि में संरक्षण करके आगे काम में लेने की प्रक्रिया है। इसके लिए यह अत्यावश्यक है कि भू-जल की गिरावट तथा भू-जल स्तर में सुधार किया जाए तथा समुद्र के जल का अंतर्गमन अर्थात समुद्री जल को भूमि की तरफ आने से रोका जाए और वर्षा मौसम के दौरान सतही जल का अपवाह तथा शहरी अपशिष्ट जल का संरक्षण किया जाए ।
जल संरक्षण के लिए आप क्या कर सकते है?
-अपने घर में पानी के बेकार में टपकने या रिसने के रोकें ।
-आपको जितनी आवश्यकता हो उतने ही जल का उपयोग करें ।
-पानी के नलों को इस्तेमाल करने के बाद बंद रखें ।
-मंजन करते समय नल को बंद रखें तथा आवश्यकता होने पर ही खोलें ।
-नहाने के लिए अधिक जल को व्यर्थ न करें ।
-ऐसी वाशिंग मशीन का इस्तेमाल करें जिससे अधिक जल की खपत न हो ।
-खाद्य सामग्री तथा कपड़ों को धोते समय नलों का खुला न छोड़े ।
-जल को कदापि नाली में न बहाएं बल्कि इसे अन्य उपयोगों जैसे - पौधों अथवा बगीचे को सींचने अथवा सफाई इत्यादि में लाएं।
-सब्जियों तथा फलों को धोने में उपयोग किए गए जल को फूलों तथा सजावटी पौधों के गमलों को सींचने में किया जा सकता है ।
-पानी की बोतल में अंततः बचे हुए जल को फेंके नही बल्कि इसका पौधों को सींचने में उपयोग करें ।
-पानी के हौज को खुला न छोड़ें ।
-तालाबों, नदियों अथवा समुद्र में कूड़ा न फेंकें। (साभार: केंद्रीय जल आयोग)