ਕੀ ਸਤਿਕਾਰ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਨੂੰ ਜ਼ਬਰਦਸਤੀ ਪੈਦਾ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ? / Can a sense of respect be forcibly engendered? / क्या सम्मान की भावना को ज़बरदस्ती पैदा किया जा सकता है? *
ਹਾਂ ਬਿਲਕੁਲ / Yes, of course / हाँ जी बिल्कुल
ਕਦੇ-ਕਦੇ / Occasionally / कभी-कभी
ਬਿਲਕੁਲ ਨਹੀਂ / Absolutely not / बिल्कुल नहीं
ਕੁਝ ਨਹੀਂ ਕਹਿ ਸਕਦੇ / Can't say anything / कुछ नही कह सकते
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Can’t say anything
Because..
It’s thinking of man herself
So..can’t say anything
Because..
It’s thinking of man herself
So..can’t say anything
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सम्मान की भावना को बिलकुल भी ज़बरदस्ती नहीं पैदा किआ जाता सकता है।(C)
- सम्मान इंसान की अंतरात्मा से आती है और यदि वो खुद नहीं चाहता तो कोई दूसरा व्यक्ति उसे नहीं सीखा सकता।
- आपको सम्मान तब ही मिलता है जब आप खुद दुसरो का सम्मान करते हो। और यदि ऐसा कभी भी हो की किसी जगह पर आपका सम्मान नहीं हो रहा तो वहां से सर उठाकर निकल जाना चाइये।
- हम अपने सम्मान से ही बने है और उसके ज़रिये ही इस समाज में रहते है। ये सम्मान ही हमारा आभूषण और हथियार है। इसपर ठेस पहुंचने का अर्थ है की अपने आप पर चोट लगना।
- न ही हमे कभी किसी न निरादर करना है और न ही किसी दूसरे को करने देना है।
#SPJ2
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