Hindi, asked by HomeWorkDude, 9 months ago

Can anybody give me a 1 page essay in Hindi on Onam (Kerala)​

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Answered by jaanusingh442
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Answer:

ओणम महोत्सव मलयालम कैलेंडर के पहले महीने की शुरुआत में मनाया जाता है, यह (कोलावर्धम) चिंगम कहलाता है। यह महीना अगस्त-सितंबर से ग्रेगोरियन कैलेंडर और भाद्रपदा या भारतीय (हिंदू) कैलेंडर से मेल खाती है।

Explanation:

ओणम कार्निवल दस दिनों तक चलता रहता है, जो अथम के दिन से शुरू होता है और थिरू ओणम पर समापन होता है। अथम और थिरू ओणम उत्सवों के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन हैं। अथम के दिन सितारों की स्थिति का फैसला किया जाता है। ओणम त्योहार चंद्र ग्रह (एक नक्षत्र से छोटा सितारों का एक समूह) से शुरू होता है अथम जो दस दिन पहले प्रकृति ओनोम या थिरू ओणम प्रकट होता है।

केरल के लोगों द्वारा अथम को शुभ और पवित्र दिन माना जाता है। थिरू ओणम अगस्त या सितंबर के महीने में श्रावण दिन से मेल खाती है, इसलिए इसे श्रवणोत्सव भी कहा जाता है। इस समय सूरज लियो (सिमा रासी)

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Answered by ayush39216
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Answer:

भूमिका : भारत विविधता में एकता का देश है। भारत में तरह-तरह की जातियाँ और लोग रहते हैं। इस देश की संस्कृति अपने आप में आलौकिक है और अविस्मरणीय है इसका वर्णन करते हम कभी भी नहीं थकते हैं। भारत एक ऐसा देश है जहाँ पर हर दिन हर महीने कोई-न-कोई त्यौहार मनाया जाता है।

ओणम भी उन त्यौहारों में से एक है। ओणम एक बहुत ही प्राचीन त्यौहार है जो बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ओणम के साथ-साथ चिंगम महीने में केरल में चावल की फसल का त्यौहार और वर्षा के फूल का त्यौहार मनाया जाता है। मलयाली और तमिल लोग ओणम को बहुत ही धूम-धाम से मनाते हैं।

ओणम केरल का एक बहुत ही प्रमुख त्यौहार है। ओणम को चिंगम महीने में मनाया जाता है। ये मलयालम कैलेंडर का पहला महिना होता है। यह अगस्त-सितम्बर के महीने में ही आता है। दूसरे सोलर कैलेंडर में इसे सिम्हा महीना भी कहते हैं। तमिल कैलेंडर के अनुसार इसे अवनी महिना भी कहते हैं। जब थिरुवोणम नक्षत्र चिंगम महीने में आता है उस दिन ओणम का त्यौहार होता है।

राजा महाबलि की परीक्षा : महाबलि प्रहलाद के पोते थे। प्रहलाद जो हिरण्यकश्यप असुर के बेटे थे। लेकिन फिर भी प्रहलाद विष्णु के भक्त थे। महाबलि भी प्रहलाद की तरह भगवान विष्णु के भक्त थे। समय आगे बढ़ता गया और वे बड़े होते गये।उनका साम्राज्य स्वर्ग तक फैला हुआ था इस बात से उनकी प्रजा बहुत खुश थी।

देवी देवता विष्णु भगवान की अर्चना करने लगे। विष्णु भगवान ने वामन के वेश में उनके सामने गये। विष्णु जी ने तीन पग मीन का दान माँगा था। राजा बलि इस बात को बहुत ही साधारण समझ रहे थे लेकिन यह साधारण बात नहीं थी। जब राजा बलि ने तीन पग जमीन देने के लिए हामी भर दी तो भगवान विष्णु ने अपना विराट रूप ले लिया।

उन्होंने अपने एक पग से पूरी धरती को नापा और दूसरे पग से आकाश को लेकिन तीसरे पग के लिए कुछ नहीं बचा तो राजा बलि ने अपना शरीर अर्पित कर दिया।क्योंकि राजा बलि ने अपना सब कुछ दान कर दिया था तो वे धरती पर नहीं रह सकते थे। विष्णु भगवान ने उन्हें पाताल लोक जाने के लिए कहा।

लेकिन जाने से पहले भगवान विष्णु ने उनसे एक वरदान मांगने के लिए कहा था।राजा बलि गरीबों को बहुत दान देते थे। राजा बलि अपनी प्रजा से बहुत प्यार करते थे तो उन्होंने साल में एक दिन धरती पर आकर अपनी प्रजा को देखने का वरदान माँगा। भगवान विष्णु ने उनके इस वरदान को स्वीकार कर लिया।

ऐसा माना जाता है कि श्रावण मास के श्रवण नक्षत्र में राजा बलि अपनी प्रजा को देखने के लिए खुद धरती पर आते हैं। मलयालम में श्रवण नक्षत्र को ओणम कहते हैं इसी लिए इस पर्व का नाम भी ओणम पड़ गया। तभी से इस त्यौहार को ओणम के नाम से मनाया जाने लगा।

ओणम का महत्व : यह फसल उत्सव भी होता है। यह त्यौहार आमतौर पर अगस्त या फिर सितंबर के महीने में आता है। ओणम त्यौहार के दिन कई तरह के नृत्य प्रस्तुत करने की परम्परा है। इस दिन केरल का सबसे लोकप्रिय कथकली नृत्य का बहुत बड़े पैमाने पर आयोजन लिया जाता है।

इस दिन औरतें सफेद साड़ी पहनती हैं और बालों पर फूलों की वेणियों को सजाकर नृत्य करती हैं। ये सभी कार्यक्रम इस दिन व्यापक रूप से किये जाते हैं। इन कार्यक्रमों में सभी लोग बहुत ही बढ़-चढकर हिस्सा लेते हैं। ओणम का त्यौहार अपने साथ सुख-समृद्धि, प्रेम-सौहार्द और परस्पर प्यार और सहयोग का संदेश लेकर आता है।

उपसंहार : ओणम के त्यौहार पर घरों और केरल को दुल्हन की तरह सजा दिया जाता है हर घर के सामने रंगोली बनाई जाती है। ओणम के त्यौहार में केरल की स्मृद्धि को व्यापक रूप से देखा जा सकता है। ओणम त्यौहार के दिन लोक नृत्य , खेल , साँप बोत की दौड़ , गाने , स्वादिष्ट भोजन बनाए जाते हैं।

राजा महाबलि लोगों के आदर्श थे वे बहुत ही दानी थे। ओणम के दिन अमीर लोग गरीबों को दिल खोलकर दान करते हैं। ओणम के दिन को लोग बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं जिसका पता लोगों के चेहरों को देखकर लगाया जा सकता है।

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