Hindi, asked by valaykumbhalkar, 10 months ago

Can anyone send me the all मुहावरे in hindi B of class 10 th CBSE all.

Answers

Answered by pratibhasharma1406
1

Answer:

प्राण सूखना – डर लगना

रात में बाग़ से घर लौटते समय भेड़िये को देख कर रामलाल के प्राण सूख गए।

हंसी खेल होना- छोटी मोटी बात होना

तुम तो ऐसे बात कर रहे हो जैसे बिटिया का विवाह कोई हंसीं-खेल हो ।

आंखें फोड़ना बड़े ध्यान से पढ़ना

भाई, रमेश को तो परीक्षा में प्रथम आना ही था, आखिर साल भर आँखें फोड़ कर पढाई की है।

गाढ़ी कमाई – मेहनत की कमाई

सुरेश की दूकान में चोरी क्या हुई, उसका तो दिल ही टूट गया। आखिर उसकी गाढ़ी कमाई थी, कोई हराम की कमाई नहीं थी।

जिगर के टुकड़े टुकड़े होना- हृदय पर भारी आघात लगना

बेटे की शहादत की खबर सुनते ही वीरपाल के जिगर के टुकड़े-टुकड़े हो गए।

हिम्मत टूटना- साहस समाप्त होना

भाई, जब से दूकान में आग लगी और मेरा सारा सामान जल गया तब से तो मेरी हिम्मत टूट गयी है।

जान तोड़ मेहनत करना- अत्यधिक परिश्रम करना

लाला जी, अपने पिता की सौगंध खा कर कहता हूँ, जान-तोड़ मेहनत करूंगा लेकिन आपकी एक-एक पाई-पाई चुका कर रहूंगा।

दबे पांव आना -चोरी चोरी प्रवेश करना

सतीश जब बाहर शराब पीकर लौटा तो घर में दबे पांव घुसते समय पिता ने पकड़ लिया और बहुत खरी-खोटी सुनाई।

घुड़किया खाना- डांट सहना

नौकरी में तो साहब की हजार घुड़कियाँ खा कर भी चुप रहना पड़ता है, रोजी-रोटी का मामला जो ठहरा।

आड़े हाथों लेना- कठोर व्यवहार करना

रमेश मेधावी छात्र है लेकिन गलत संगती में उसका परीक्षा परिणाम खराब आया तो अध्यापक जी ने उसे आड़े हाथों लिया।

घाव पर नमक छिड़कना – दुखी को और दुख देना

एक तो लाला शामिल व्यापार में नुक्सान की वाकः से पहले ही दुखी थे ऊपर से सेठ दुनीचंद ने नगर व्यापार संघ के अध्यक्ष पद के चुनाव में उन्हें हरा कर उनके घाव पर नमक छिड़क दिया।

तलवार खींचना- लड़ाई के लिए उद्धत रहना

वैसे तो अजय-विजय दोनों सगे भाई हैं लेकिन खेतों के बंटवारे को लेकर दोनों में जब देखो तलवारें खिंची रहती हैं।

अंधे के हाथ बटेर लगना- योग्यता ना होने पर भी मूल्यवान वस्तु मिल जाना

वैसे तो शर्मा जी को कार्यालय का कोई काम नहीं आता है लेकिन चौधरी जी के अस्वस्थ होने के कारण विभागाध्यक्ष का चार्ज और मिल गया, इसे कहते हैं अंधे के हाथ बटेर लगना।

चुल्लू भर पानी देने वाला- मुश्किल वक्त में मदद करने वाला

पड़ोसियों से बना कर रखो वीरसिंघ, अभिमान अच्छा नहीं होता, कल कोई दिक्कत आई तो कोई चुल्लू भर पानी देने वाला न होगा।

दांतों पसीना आना – बहुत परेशानी में पड़ना

बेटी की शादी करने में रामपाल जी को दांतों पसीने आ गए।

लोहे के चने चबाना – बहुत मुश्किलों का सामना करना

रानी लक्समी बाई को परास्त करने में अंग्रेजों को लोहे के चने चबाने पड़ गए।

चक्कर खाना- भुलावे में पड़ जाना

ठग ने गहने दुगने करने का लालच देकर ऐसा चक्कर चलाया कि मोहल्ले की कई औरतें अपने जेवरों से हाथ धो बैठी।

आटे दाल का भाव मालूम होना – कठिनाइयों का सामना करना

बाप की कमाई पर बहुत ऐश कर ली तुमने, अब खुद गृहस्थी का बोझ उठाओगे तो आते-दाल का भाव मालूम होगा।

जमीन पर पांव ना रखना- बहुत खुश हो जाना

बेटे की सरकारी नौकरी की खबर सुन कर गुप्ता जी से तो मानो पांव जमीन पर न रखे जा रहे थे।

हाथ पांव फूल जाना- मुश्किल समय में घबरा जाना

फेरों के ठीक पहले दामाद ने कार की मांग कर डाली तो वर्मा जी के तो हाथ पांव फूल गए।

रंग दिखाना -अपनी असलियत दिखाना

जब तक भाई जीवित था रमेश ने भतीजों से प्रेम बनाये रखा किन्तु भाई कि मृत्यु होते ही उसने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया।

ठंडा पड़ना- प्रयासों में कमी आना

प्राय: सभी विद्यार्थी आई आई टी में दाखिले का सपना देखते हैं किन्तु जब मेहनत करने की बारी आती है तो दो दिन में ही जोश ठंडा पद जाता है।

टूट जाना – हिम्मत टूटना, बिखर जाना

भाई, क्या कहूं, तुम तो जानते हो मैं बाधाओं से घबराने वाला व्यक्ति नहीं हूँ लेकिन जब से बेटे – बहु ने अपना घर अलग कर लिया तब से मैं तो अंदर से टूट गया हूँ ।

सुध बुध खोना- अपने बस में ना रहना

लता सुरेश के प्रेम में इस तरह पागल थी कि बस अपनी सुध-नूँध ही खो बैठी, न खाने का होश रहा न पहनने का, जब देखो बौराई सी घूमती रहती थी।

बाट जोहना- प्रतीक्षा करना इंतजार करना

जबसे बुआ जी को खबर मिली है कि उनका बेटा फौज से छुट्टी लेकर घर आने वाला है तब से बस उसी की बात जोह रही हैं, आँखें हैं कि दरवाजे से हटती ही नहीं।

खुशी का ठिकाना न रहना – बहुत अधिक प्रसन्नता का होना

अपने बेटे का इंजीनियरिंग में सेलेक्शन होने की खबर सुन कर शर्मा जी की ख़ुशी का ठिकाना ही न रहा, बस जिसे देखो यही समाचार सुनाते फिर रहे हैं।

आग बबूला होना- अत्यधिक क्रोधित हो जाना

माता कैकयी द्वारा षड्यंत्र कर भाई राम को वनवास की बात पता चलते ही भरत क्रोध से आग-बबूला हो उठा, उसने अपनी माता को जी भर कर खरी-खोटी सुनाई।

राह न सूझना- कोई उपाय समझ में ना आना

जीवन भर की कमाई उस धोखेबाज़ की बातों में आकर छह महीने में दोगुनी वाली स्कीम में लगा दी, अब न मेरा पैसा है न वह धोखेबाज़ ही कहीं नजर आता है। मैं क्या करूँ, मुझे तो अब आजीविका निर्वाह की कोई राह नहीं सूझती।

सुराग ना मिलना- कुछ पता ना चला

पुलिस ने सारी रात बस्ती में छानबीन की फिर भी दंगा फैलाने वाले बदमाशों का कोई सुराग न मिला।

Please mark it brainliest

Similar questions