Hindi, asked by mappam1947gmailcom, 1 year ago

can anyone tell me the short summary of chapter "kAllu kumhar ki unnaqoti" in your own words

9th graders ... help !!!

Answers

Answered by nhkmk786
3
\color{red}\huge\bold\star\underline\mathcal{Hey\:Mate}\star

Here is your answer...☺☺☺
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त्रिपुरा में कल्लू नाम का
एक कुम्हार रहता था। वह शिव जी के साथ रहना चाहता था। भगवान शिव ने शर्त रखी कि
उसे एक रात में शिव जी की एक करोड़ मूर्तियाँ बनानी होंगी। कल्लू जाने के लिए बहुत
उत्सुक्त था इसलिए तुरंत मूर्तियाँ बनाने लगा। परन्तु एक मूर्ति रह गयी और सुबह हो
गई। इसलिए वह शिव जी के साथ नहीं जा सका और वहीँ रह गया। उसी के नाम से त्रिपुरा
के उस स्थान का नाम उनाकोटी पड़ा। उनाकोटी का अर्थ है एक करोड़ से एक कम।

            लेखक को यह स्थान बहुत
रमणीय लगा। इस स्थान पर लेखक ने अपने कार्यक्रम की शूटिंग भी करी।

     इसके अतिरिक्त लेखक ने त्रिपुरा की
संस्कृति, सभ्यता, धर्म, वहाँ का जन जीवन और जनजातियों के बारे में बताया है। त्रिपुरा
बहुधार्मिक समाज का उदाहरण है। वहाँ पर लगातार बाहरी लोग आते रहे हैं। त्रिपुरा
में उन्नीस अनुसूचित जनजातियाँ हैं। वहाँ विश्व के चारों बड़े धर्मों का
प्रतिनिधित्व मौजूद है। अगरतला के बाहरी हिस्से पैचारथल में एक सुंदर बौध मंदिर
है। त्रिपुरा के उन्नीस कबीलों में से चकमा और मुघ महायानी बौध हैं। ये कबीले
म्यांमार से आये थे। इस मंदिर की मुख्य बुद्ध प्रतिमा 1930 में रंगून से लाई गयी
थी।

     टीलियामुरा में लेखक का परिचय समाज
सेविका मंजू ऋषिदास और लोकगायक  हेमंत
कुमार जमातिया से हुई।

      त्रिपुरा में अगरबत्ती बनाना, बाँस के खिलौने
बनाना और गले में पहनने की मालायें बनाना आदि घरेलू उद्योग चलते

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Answered by janmayjaisolanki78
3
कल्लू कुम्हार की उनाकोटी' पाठ में लेखक के. विक्रम सिंह के द्वारा की गई यात्रा का वर्णन है। लेखक एक बार काम के सिलसिले में त्रिपुरा गए थे। वहाँ उन्होंने अपने कार्यक्रम के लिए त्रिपुरा के अनेक स्थानों की यात्रा की थी। उनाकोटी उन्हीं स्थानों में से एक था। उनाकोटी का लेखक ने विशेष रूप से इस पाठ में वर्णन किया है। इस स्थान पर शिव की एक करोड़ से एक कम मूर्तियाँ विद्यमान हैं। लेखक ने इस स्थान पर अपने कार्यक्रम की शूंटिग भी की थी। यह स्थान इतना सुंदर था कि लेखक की स्मृतियों में रच-बस गया। इस यात्रा वृत्तांत में लेखक ने त्रिपुरा की संस्कृति, सभ्यता, वहाँ के जन-जीवन, समस्याओं, भौगोलिक, उद्योग, जनजातीय लोगों आदि का वर्णन किया है। ऐसी यात्रा वृत्तांत के माध्यम से हम किसी भी स्थान के बारे सटीक जानकारी हासिल कर सकते हैं। इस तरह के पाठ का उद्देश्य होता है, बच्चों को अपने देश के हर स्थान के बारे में बताना।

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