can i have a summary of deepdan in ekanki sanchay icse?
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दीपदान एक बहुत ही दिलचस्प कहानी है !!
मयूर राज की युवराज को बचाने के लिए कैसे धाय मां अपने बेटे को बलिदान कर देती है ।
इस एकांकी में कुंवारी कन्याओं के द्वारा दीपों का दान किया जाता है। जो रात का दृश्य होता है। वह नृत्य भी करती है।
यहां पन्ना अपने पुत्र काम जीवन दान करके कुंवर वीर सिंह की प्राणों की रक्षा करती है।एक ओर जहां पूरा चित्रों जश्न मनाता है। वहीं दूसरी ओर धाय मां अपने साहस काम परिचय देती है।
पन्ना के चरित्र ने पूरे एकांकी में जान डाल दिया है। महाराजा संग्राम सिंह के मृत्यु के बाद ।दासी काम पुत्र बनवीर सारी संपत्ति पर अपना अधिकार जमाना चाहता था। वह उदय सिंह को मारना चाहता था लेकिन धाय मां ने अपने पुत्र की बली चरवा दी और उदय सिंह की रक्षा की।
एक मां के लिए यह बहुत कठिन काम होता है परंतु धाय मां ने दिल पर पत्थर रखकर यह काम किया। जो सचमुच सराहनीय है।
उसने यह सिद्ध किया कि स्वामी भक्ति ही सब कुछ होता है। वह सही मायनों में दीपदान करती है और उसका अर्थ समझती है।
मयूर राज की युवराज को बचाने के लिए कैसे धाय मां अपने बेटे को बलिदान कर देती है ।
इस एकांकी में कुंवारी कन्याओं के द्वारा दीपों का दान किया जाता है। जो रात का दृश्य होता है। वह नृत्य भी करती है।
यहां पन्ना अपने पुत्र काम जीवन दान करके कुंवर वीर सिंह की प्राणों की रक्षा करती है।एक ओर जहां पूरा चित्रों जश्न मनाता है। वहीं दूसरी ओर धाय मां अपने साहस काम परिचय देती है।
पन्ना के चरित्र ने पूरे एकांकी में जान डाल दिया है। महाराजा संग्राम सिंह के मृत्यु के बाद ।दासी काम पुत्र बनवीर सारी संपत्ति पर अपना अधिकार जमाना चाहता था। वह उदय सिंह को मारना चाहता था लेकिन धाय मां ने अपने पुत्र की बली चरवा दी और उदय सिंह की रक्षा की।
एक मां के लिए यह बहुत कठिन काम होता है परंतु धाय मां ने दिल पर पत्थर रखकर यह काम किया। जो सचमुच सराहनीय है।
उसने यह सिद्ध किया कि स्वामी भक्ति ही सब कुछ होता है। वह सही मायनों में दीपदान करती है और उसका अर्थ समझती है।
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यहां पन्ना अपने पुत्र काम जीवन दान करके कुंवर वीर सिंह की प्राणों की रक्षा करती है।एक ओर जहां पूरा चित्रों जश्न मनाता है। वहीं दूसरी ओर धाय मां अपने साहस काम परिचय देती है।
पन्ना के चरित्र ने पूरे एकांकी में जान डाल दिया है। महाराजा संग्राम सिंह के मृत्यु के बाद ।दासी काम पुत्र बनवीर सारी संपत्ति पर अपना अधिकार जमाना चाहता था। वह उदय सिंह को मारना चाहता था लेकिन धाय मां ने अपने पुत्र की बली चरवा दी और उदय सिंह की रक्षा की।
एक मां के लिए यह बहुत कठिन काम होता है परंतु धाय मां ने दिल पर पत्थर रखकर यह काम किया। जो सचमुच सराहनीय है।
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