Can someone please tell me the importance of the following quote by Bal Gangadhar Tilak?
'Swaraj Mera Janmsidh Adhikar Hai Aur Main Isse Lekar Rahunga'
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पं० बाल गंगाधर तिलक (Bal Gangadhar Tilak) का जन्म 23 जुलाई 1856 को हुआ था। तिलक भारत के एक प्रमुख नेता, समाज सुधारक और स्वतन्त्रता सेनानी थे। आप भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता थे। भारत में पूर्ण स्वराज की माँग उठाने वाले आप पहले नेता थे।
आपका "स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, और मैं इसे लेकर रहूँगा" का उद्घोष बहुत लोकप्रिय हुआ। आदर से लोग इन्हे "लोकमान्य" बुलाने लगे।
तिलक ने अंग्रेजी सरकार की क्रूरता और भारतीय संस्कृति के प्रति हीन-भावना की बहुत आलोचना की। आपने माँग की कि ब्रिटिश सरकार तुरन्त भारतीयों को पूर्ण स्वराज दे। केसरी में प्रकाशित आपके आलेखों के कारण आपको कई बार जेल जाना पड़ा।लोकमान्य तिलक ने जनजागृति का कार्यक्रम पूरा करने के लिए महाराष्ट्र में गणेश उत्सव तथा शिवाजी उत्सव सप्ताह भर मनाना प्रारंभ किया। इन त्योहारों के माध्यम से जनता में देशप्रेम और अंगरेजों के अन्यायों के विरुद्ध संघर्ष का साहस भरा गया।
तिलक की क्रांतिकारी गतिविधियों से अंग्रेज बौखला गए और उन पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाकर छह वर्ष के लिए 'देश निकाला' दे दिया गया और बर्मा की मांडले जेल में भेज दिया गया। इसी समय तिलक ने गीता का अध्ययन किया और गीता रहस्य नामक भाष्य भी लिखा। तिलक के जेल से छूटने के पश्चात् जब उनका गीता रहस्य प्रकाशित हुआ तो उसका बहुत तीव्र गति से प्रचार-प्रसार हुआ।