can you explain me the chapter , "mere neeji pustakalay " sprash book chapter number 4
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मेरा निजी पुस्तकालय धर्म वीर भर्ती द्वारा रचित है। इस पाठ में लेखक ने अपना प्रेम अपने पुस्तकों के प्रति प्रकट किया है। इस पाठ में लेखक बतातें है की है उन्हें लगातार तीन हार्ट अटैक आये जिसकी वजह से उनकी बचने की कोई उम्मीद नहीं थी पर फिर एक डॉक्टर ने हिम्मत दिखा कर उन्हें 900 वोल्टस के झटके दिए जिससे उनकी जान तो बच गयी पर उनके हार्ट का 40 प्रतिशत हार्ट ही बचा जिसमे भी 3 ब्लॉकेज थी। फिर उनको घर लाया गया क्योंकि उनकी जान बचाने के लिए कुछ ही दिनों में उनका ओपन हार्ट सर्जरी करनी थी। घर आने के बाद उनको अपने पुस्तकालय वाले कमरे मे रखा जाता है। फिर वो अपनी कहानि बताते है की कैसे उन्हें किताबे पढ़ने का शौक हुआ और कब उन्होंने अपनी पहली पुस्तक खरीदी। आखिरी में वो कहते है कि मेरी ओपन हार्ट सर्जरी successful हुई और फिर एक कवी उनके पास आये और कहा कि उनकी जान उनके किताबों की वजह से बची है।
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