Hindi, asked by Sp4atiaadi4yEF, 1 year ago

Can you give me 5 sakhiyan of kabirdas exept which are there in the book

Answers

Answered by Sampani
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1) जग में बैरी कोइ नहीं, जो मन सीतल होय।
या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय॥

2) कबीर घास न नींदिए, जो पाऊँ तलि होइ।
उड़ि पड़ै जब आँखि मैं, खरी दुहेली होइ॥

3) लघुता ते प्रभुता मिले, प्रभुता ते प्रभु दूरी।
चींटी लै सक्कर चली, हाथी के सिर धूरी॥

4) प्रेम ना बाड़ी उपजे, प्रेम ना हाट बिकाय।
राजा परजा जेहि रुचे, सीस देई लै जाय॥

5) बोली एक अमोल है, जो कोइ बोलै जानि।
हिये तराजू तौल के, तब मुख बाहर आनि॥
Answered by shainapahuja
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1 प्रेम ना बाड़ी उपजे, प्रेम ना हाट बिकाय।
राजा परजा जेहि रुचे, सीस देई लै जाय॥

2 माला फेरत जुग भया, मिटा ना मन का फेर।
कर का मन का छाड़ि के, मन का मनका फेर॥

3 माया मुई न मन मुआ, मरि मरि गया सरीर।
आसा तृष्णा ना मुई, यों कह गये कबीर॥

4 झूठे सुख को सुख कहे, मानत है मन मोद।
खलक चबेना काल का, कुछ मुख में कुछ गोद॥

5 ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय।
औरन को सीतल करे, आपहुँ सीतल होय॥
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