चरन चोंच लोचन रंग्यो, चलै मराली चाल। क्षीर-नीर बिबरन समय, बक उघरत तेहि काल।।
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पैर, चोंच तथा आँखों को रंग करने से तथा हंस के समान मतवाली चाल चलने से बगुला हंस नहीं बन जाता है। जब दूध तथा पानी को अलग करने की बात आती है, तो सच्चाई खुल जाती है।
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