चयनात्मक अवधान के निर्धारकों का वर्णन कीजिए। चयनात्मक अवधान संधूत अवधान से किस प्रकार भिन्न होता है?
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अवधान अर्थात ध्यान एक चयनात्मक प्रक्रिया है। किसी वस्तु पर ध्यान देने का अर्थ है किसी दूसरी वस्तु से ध्यान हटाकर उस वस्तु पर ध्यान केंद्रित करना। इस प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए व्यक्ति को उस वस्तु का चुनाव करना पड़ता है और पहले की वस्तु पर से ध्यान हटाना पड़ता है। चुनाव करने की प्रक्रिया को चयनात्मक अवधान कहा जाता है।
चयनात्मक अभिधान को प्रभावित करने वाले अनेक निर्धारक होते हैं। चयनात्मक अवधान एक मानसिक क्रिया है। विषय वस्तु के चयन में बाहरी और आंतरिक निर्धारक सहायक होते हैं।
यह निर्धारक इस प्रकार हैं..
आंतरिक निर्धारक : रुचि, मौलिक इच्छाये, मानसिक तत्परताये, लक्ष्य, आदत, अर्थ, विन्यास और स्वभाव, संवेग, अतीत अनुभव और सामजिक प्रेरणायें।
बाहरी निर्धारक : जैसे की उत्तेजना की प्रवृत्ति, उत्तेजना की तीव्रता, उत्तेजना का आकार, उत्तेजना की स्थिति, उत्तेजना का विरोध, उत्तेजना का आकार, उत्तेजना की प्रवृत्ति और उत्तेजना की गति।
अवधान में निर्धारकों के कारण ही अवधान का चयन होता है। चयनात्मक अवधान संदृत अवधान से इस प्रकार भिन्न है कि चयनात्मक अवधान में स्वभाविक रूप से चयन किया जाता है जबकि संदृत अवधान एक स्थूल अवधान है, जिसमें तीन प्रकार के अवधान होते हैं, ऐच्छिक, अनैच्छिक और स्वभाविक अवधान।
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अवधान को परिभाषित कीजिए। इसके गुणों की व्याख्या कीजिए।