CBSE: परीक्षा में बदलाव एवं छात्रों पर प्रभाव
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CBSE Board ने 10वीं कक्षा के छात्रों के लिए नियमों में बदलाव किया है।
सीबीएसई बोर्ड के नए नोटिफिकेशन के अनुसार अब 10वीं में लिखित और प्रायोगिक परीक्षा मिलाकर कुल 33 प्रतिशत अंकों पर ही पास माना जाएगा। बोर्ड ने गुरुवार को इसका आदेश जारी कर दिया।
उल्लेखनीय है अब तक 10वीं में छात्र-छात्राओं को पास होने के लिए लिखित में 33 प्रतिशत और प्रायोगिक परीक्षा में 33 प्रतिशत अंक अलग-अलग लाने पड़ते थे। बोर्ड का यह नियम वर्ष 2019 की बोर्ड परीक्षाओं में लागू हो जाएगा। ऐसे में अगले वर्ष होने वाले CBSE 10th Exam में छात्रों को किसी सब्जेक्ट के थ्योरी और प्रेक्टिकल दोनों में मिलाकर कम से कम 33 फीसदी मार्क्स लाने होंगे।
इससे पहले किया था गणित के दो पेपर करवाने का ऐलान
अब 10वीं कक्षा की परीक्षा में गणित के 2 पेपर आएंगे जिनमें एक कठिन और एक सरल होगा। यह नियम CBSE कक्षा 10 की परीक्षा के लिए किया जा रहा है। यह नियम सीबीएसई की 2019 में आयोजित होने वाली परीक्षाओं में लागू किया जा रहा है। हालांकि कक्षा 10 के छात्रों गणित विषय के दोनों पेपर हल करने की बाध्यता नहीं होगी। छात्र इन दोनों में पेपर में से जो भी अपनी मर्जी हो वो पेपर हल कर सकते हैं।
सीबीएसई बोर्ड की परीक्षाएं फरवरी 2019 से
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) परीक्षा 2019 का समय जारी कर दिया है। ये परीक्षाएं फरवरी 2019 से शुरू होंगी। सीबीएसई परीक्षा का पूरा कार्यक्रम अक्टूबर के पहले सप्ताह तक जारी किया जा रहा है। इसके अलावा बोर्ड की ओर से फरवरी महीने के दूसरे सप्ताह से कौशल शिक्षा (व्यावसायिक) और संबंधित विषयों के लिए परीक्षा आयोजित की जाएगी।
के दूसरे सप्ताह से कौशल शिक्षा (व्यावसायिक) और संबंधित विषयों के लिए परीक्षा आयोजित की जाएगी।10 लाख छात्र-छात्राओं को होगा फायदा
इस वर्ष सीबीएसई 40 विभिन्न व्यावसायिक विषयों के अलावा बोर्ड फरवरी में टाइपोग्राफी और कंप्यूटर एप्लिकेशन (अंग्रेजी), वेब एप्लिकेशन, ग्राफिक्स, ऑफिस कम्यूनिकेशन आदि की परीक्षाएं भी करवाएगा क्योंकि इन विषयों में बड़े व्यावहारिक घटक और छोटे सिद्धांत पेपर होते हैं। बोर्ड के अनुमानित टाइम टेबल के अनुसार वर्ष 2019 में 10वीं और 12वीं के स्किल विषयों की परीक्षाएं फरवरी में कराई जाएंगी। इसके बाद मुख्य विषयों की परीक्षाएं मार्च में होंगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वर्ष 2019 में सीबीएसई की 10वीं की परीक्षा में 10 लाख से अधिक छात्र शामिल होंगे।
परीक्षा में बदलाव एवं छात्रों पर प्रभाव
परिवर्तन अधिकांश लोगों द्वारा पसंद नहीं किया जाता है; जब परीक्षा पैटर्न में बदलाव की बात आती है, तो उन्हें कोई भी पसंद नहीं करता है। छात्रों के परीक्षा पैटर्न में बदलाव पसंद नहीं हैं के कई कारण हैं :
- पहला कारण छात्रों को मौजूदा परीक्षा पैटर्न से परिचित कराने के लिए बहुत मेहनत करना पड़ता है। वे परीक्षा के लिए तैयारी के अध्ययन के सैकड़ों घंटे बिताते हैं; जब परीक्षा पैटर्न बदल जाता है, तो उन्हें फिर से शुरुआत से तैयारी करनी होती है। यह उन्हें तनावग्रस्त और कम आत्मविश्वास वाला बनाता है।
- दूसरा कारण है परीक्षा पैटर्न का मतलब है कि उन्हें नई किताबें खरीदना है, और पुस्तकों का अभ्यास करना है; इससे उनका तनाव भी बढ़ता है।
किसी व्यक्ति और देश के समग्र विकास और विकास के लिए शिक्षा प्रणाली की स्थिरता बनाए रखना महत्वपूर्ण है। हालांकि, अक्सर यह देखा गया है कि पाठ्यक्रम संरचना में या कभी-कभी परीक्षा पैटर्न में भी बदलाव किए जाते हैं जिससे छात्रों के प्रदर्शन में बाधा आती है।
परीक्षा पैटर्न में अचानक बदलाव छात्रों को संकट में छोड़ देता है। दूसरी ओर, इसके कुछ फायदे भी हैं। एक छात्र एक दिए गए पैटर्न में अध्ययन करता है और अभ्यास करता है और अपने ज्ञान को आंकने के लिए परीक्षा आयोजित नहीं करता है और इसलिए परीक्षा का प्रकार या पैटर्न कुछ भी हो सकता है, इसके लिए एक छात्र तैयार होना चाहिए।