Hindi, asked by Hasanat6020, 1 year ago

Ch 1 kritika summary class 9th

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Answered by Toshika19
61
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Answered by jitekumar4201
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माता का आँचल  Kritika

'माता का आँचल' पाठ शिवपूजन सहाय द्वारा लिखा गया है जिसमें लेखक ने माँ के साथ एक अद्भुत लगाव को दर्शाया है| इस पाठ में ग्राम संस्कृति का चित्रण किया गया है|

कथाकार का नाम तारकेश्वर था। पिता अपने साथ ही उसे सुलाते, सुबह उठाते और नहलाते थे। वे पूजा के समय उसे अपने पास बिठाकर शंकर जी जैसा तिलक लगाते जो लेखक को ख़ुशी देती थी| पूजा के बाद पिता जी उसे कंधे पर बिठाकर गंगा में मछलियों को दाना खिलाने के लिए ले जाते थे और रामनाम लिखी पर्चियों में लिपटीं आटे की गोलियाँ गंगा में डालकर लौटते हुए उसे रास्ते में पड़ने वाले पेड़ों की डालों पर झुलाते। घर आकर बाबूजी उन्हें चौके पर बिठाकर अपने हाथों से खाना खिलाया करते थे। मना करने पर उनकी माँ बड़े प्यार से तोता, मैना, कबूतर, हँस, मोर आदि के बनावटी नाम से टुकड़े बनाकर उन्हें खिलाती थीं।

खाना खाकर बाहर जाते हुए माँ उसे झपटकर पकड़ लेती थीं और रोते रहने के बाद भी बालों में तेल डाल कंघी कर देतीं। कुरता-टोपी पहनाकर चोटी गूँथकर फूलदार लट्टू लगा देती थीं।लेखक रोते-रोते बाबूजी की गोद में बाहर आते। बाहर आते ही वे बालकों के झुंड के साथ मौज-मस्ती में डूब जाते थे। वे चबूतरे पर बैठकर तमाशे और नाटक किया करते थे। मिठाइयों की दुकान लगाया करते थे। घरौंदे के खेल में खाने वालों की पंक्ति में आखिरी में चुपके से बैठ जाने पर जब लोगों को खाने से पहले ही उठा दिया जाता, तो वे पूछते कि भोजन फिर कब मिलेगा। किसी दूल्हे के आगे चलती पालकी देखते ही जोर-जोर से चिल्लाने लगते।

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