chalak lomdi ki kahani
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लोमड़ी की चालाकी तो जगप्रसिद्ध है।
उसने झटपट एक योजना बनाई और उसी पेड़ के नीचे जा पहुंची।
उसने कौए की ओर देखकर कहा, ”कौए भइया! राम-राम। आप अच्छे तो हैं?“
कौए ने कोई जवाब नहीं दिया।
लोमड़ी फिर बोली, ”कौए भइया, आज तो आप बहुत चमकदार और सुंदर लग रहे हैं। आपकी तो वाणी भी मधुर है, आप तो पक्षियों के राजा बनने के योग्य हैं। मगर जंगल के इन मूर्ख पक्षियों को कौन समझाए? जरा मुझे अपनी मीठी आवाज में एक गीत तो सुनाइए।“
अपनी झूठी तारीफ सुनकर मूर्ख कौआ घमंड में आ गया और बोला- ”धन्य…।“ उसने जैसे ही धन्यवाद देने के लिए अपनी चोंच खोली वैसे ही रोटी नीचे आ गिरी।
लोमड़ी ने लपककर रोटी उठाई और पलक झपकते ही नौ दो ग्यारह हो गई।
मूर्ख कौआ ताकता रह गया।
एक जंगल में एक लोमड़ी रहती थी I वह अपनी भूख मिटाने के लिए भोजन की खोज में इधर-उधर भटक रही थी I जब उसे कुछ भी ना मिला तो वह गर्मी और भूख से व्याकुल होकर एक पेड़ के नीचे बैठ गई I उसकी नजर अचानक ऊपर गई और उसने देखा कि पेड़ पर कौवा बैठा है जिसके मुंह में रोटी का एक टुकड़ा है I रोटी का टुकड़ा कौवे के मुंह में देखकर लोमड़ी के मुंह से पानी आ गया I वह वह सोचने लगी कि कौवे के मुंह में से रोटी का टुकड़ा कैसे लिया जाए I तभी लोमड़ी के दिमाग में एक चीज आई और वह बोली कौवा भाई ! मैंने तुम्हारे बारे में बहुत सुना है तुम बहुत ही सुंदर गाते हो और तुम्हारी आवाज बहुत सुरीली है I क्या तुम मुझे भी कुछ गाकर सुना सकते हो ? कौवे अपनी प्रशंसा सुनकर बहुत ही खुश हुआ और उसने कुछ सोचे समझे बिना गाने के लिए अपना मुंह खोल दिया I वैसे ही रोटी का टुकड़ा उसके मुंह से निकल कर नीचे जाकर गिर गया I जैसे ही टुकड़ा नीचे गिरा भूखी लोमड़ी ने टुकड़े को उठाया और वहां से तेजी से भाग गई I कौवा इस सबको देखते रह गया और बाद में उसे अपनी मूर्खता पर बहुत पछतावा हुआ I चतुर लोमड़ी में कौवे की मूर्खता का फायदा उठाया।