Chandni ratt Kavita Ka bhavartha
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प्रस्तुत कविता 'चाँदनी रात' कवि 'मैथिलीशरण गुप्त' द्वारा रचित 'पंचवटी' खंडकाव्य से ली गई है। प्रस्तुत पंक्तियों में चंद्रमा की छटा का सुंदर वर्णन किया गया है। चंद्र किरणें धरती पर अपनी अद्भुत छटा बिखेर रही है। धरती से आकाश तक स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है।
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