Chapter Subhan Khan
1. सुभान दादा कर्ज के पैसे से क्यों नहीं जाना चाहते थे?
2 सुभान दादा का क्या अरमान था? वह कैसे पूर्ण हुआ?
3. इस पाठ की किन घटनाओं से साम्प्रदायिक एकता का पता चलता है?
4. सुभान दादा ने हिन्दुओं का सत्कार किस प्रकार किया?
5. सुभान दादा का चरित्र-चित्रण संक्षेप में कीजिए- (छ: वाक्यों में)
Answers
जितने हिंदू आए थे उनके संस्कार के लिए दादर दे हिंदू हलवाई रखकर तरह-तरह की मिठाइयां बनाई थी और इलायची का प्रबंध किया था अब तक भी लोग उस मस्जिद के उद्घाटन के दिन की दादा की मेहमान दारी भूल नहीं है
अवधारणा परिचय:-
कविता के रूप में जानी जाने वाली भाषा के बोलचाल और लिखित रूप में एक प्राकृतिक भाषण पैटर्न और व्याकरणिक संरचना होती है।
व्याख्या:-
हमें एक प्रश्न प्रदान किया गया है
हमें इस प्रश्न का समाधान खोजने की जरूरत है सुभान दादा कर्ज के पैसे से यह जाना चाहते थे , क्यूकी वैन अपने मेहंदी से जाना चेते द नकी कर्ज़ से।
सुभान दादा का अरमान मस्जिद बनवाने का था।
घटनाओं से साम्प्रदायिक एकता का पता चलता है।
जितने हिंदू आए थे, उनके सत्कार के लिए दादा ने हिंदू हलवाई रखकर तरह-तरह की मिठाइयाँ बनवाई थीं, पान-इलायची का प्रबंध किया था।
सुभान खाँ कहानी एक साम्प्रदायिक सद्भावना को जागृत करने वाली सफल कहानी है। सुभान खा के चरित्र के द्वारा लेखक ने बताया है कि मनुष्यता सबसे बड़ा धर्म है, मानवता की सब धर्मों का मूल है। अपने अपने धर्म की दुहाई देते रहना,उसका ढ़ोल पीटते रहना सब व्यर्थ है।
अंतिम उत्तर:-
सही उत्तर सुभानु कहानी पर आधारित है।
#SPJ3