Hindi, asked by eshankesarwani, 10 months ago

Character sketch of Pritam Chand from Sapnon Ke din

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Answered by bhatiamona
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“सपनों के से दिन पाठ” लेखक ‘गुरु दयाल सिंह’ द्वारा लिखा गया पाठ है। इस पाठ में गुरुदयाल सिंह ने अपने बचपन के संस्मरण के बारे में बताया है, जो उनके विद्यालय के जीवन के संस्मरण थे। लेखक के विद्यालय में प्रीतम चंद नाम के एक पीटी सर जो बेहद कड़क स्वभाव के थे।

प्रीतम चंद का चरित्र चित्रण प्रीतम — प्रीतम चंद बेहद अनुशासन प्रिय और सख्त मिजाज अध्यापक थे। उनका स्वभाव बड़ा कठोर था। वे बच्चों को सजा कड़ी से कड़ी सजा सजा देते समय यह भी परवाह नहीं करते कि बच्चे अत्यंत कोमल होते हैं। बच्चों की चीख का भी उनपर कोई असर नहीं पड़ता था।

पीटी सर प्रीतम चंद हालांकि एक अनुशासन प्रिय व्यक्ति थे और बच्चों में अनुशासन बनाए रखने के लिए पूरी कोशिश करते। चाहे इसके लिए उन्हें कितनी भी कठोरता क्यों ना करनी पड़े। उनका मानना था कि अनुशासन के द्वारा ही बच्चों को सुधारा जा सकता है। स्वभाव की दृष्टि से देखें तो प्रीतम चंद एक कठोर स्वभाव के व्यक्ति थे। ऐसा प्रतीत होता था कि उनका दिल बड़ा सख्त था, क्योंकि वह बच्चों के साथ अमानवीय व्यवहार करते थे और बच्चों को जानवरों की तरह मारते थे।

पेशेवर दृष्टि से देखें तो पीटी सर एक कुशल प्रशिक्षक थे और वह अपनी पीटी की क्लास बड़ी कुशलता से लेते थे। वे जो भी प्रशिक्षण देते बच्चे कुशलता से इसका पालन करते। उनकी योग्यता और सामर्थ्य की कोई बराबरी नहीं थी।

Answered by ronakronnie31
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Answer:

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१. कठोर स्वभाव- पी.टी. सर कठोर स्वभाव के व्यक्ति थे। बच्चों को सजा देते हुए वह भूल जाते थे कि बच्चे कोमल होते हैं। उनकी आह का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता था। यह उनकी कठोरता का प्रमाण है।

२. अनुशासन प्रिय व्यक्ति- पी.टी. सर अनुशासन प्रिय व्यक्ति थे। अनुशासन बनाए रखने के लिए बच्चों के साथ कठोरता की हद पार कर जाते थे। उनके अनुसार अनुशासन के माध्यम से ही बच्चों को सुधारा जा सकता था।

३. ह्दय हीन व्यक्ति- उनके अंदर ह्दय ही नहीं था। बच्चों के साथ अमानवीय व्यवहार करते थे। जो व्यक्ति बच्चों को जानवरों से भी बुरा मारता हो, उसके अंदर मानवीय भावनाओं का होना असंभव लगता है।

४. कुशल प्रशिक्षक- पी.टी. सर कितने कठोर या ह्दयहीन व्यक्ति क्यों न हो। परन्तु कुशल प्रशिक्षक थे। उनसे प्रशिक्षण लेते समय बच्चे अच्छी परेड करते थे। इसमें उनकी कोई बराबरी नहीं कर सकती था। यहाँ तक उस समय बच्चे भी प्रसन्न रहा करते थे।

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