chaya mat chuna man ki summary in detail
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कवि को जीवन में कभी यश, वैभव, मान और प्रभुता नहीं मिली, फिर भी वे इनकी मृगतृष्णा में बेतहाशा दौड़ते रहे। जीवन में समय रहते किसी भी सुख के न मिलने और सदा सब कुछ छिनते चले जाने से अत्यंत दुखी हो वे यह नहीं समझ पाए कि हर चाँदनी रात अपने पीछे एक काली अँधेरी रात भी लिए रहती है। सुखों के पीछे दुख भी छिपे रहते हैं। अतः केवल इस सत्य को समझकर यथार्थ का सामना करना चाहिए। दुविधा में पड़कर मनुष्य का साहस कम ही होता है और पथ दिखाई नहीं देता। अतः जो कुछ अब तक प्राप्त नहीं हुआ है, उसका स्मरण न करते हुए आगे बढ़ने को ही अपनी पहचान बनानी चाहिए। यथार्थ में जीना ही मनुष्य का सच्चा जीवन है।
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यश या वैभव या पीछे की जमापूँजी; कुछ भी बाकी नहीं रहता है। आप जितना ही दौड़ेंगे उतना ज्यादा भूलभुलैया में खो जाएँगे; क्योंकि भूतकाल में बहुत कुछ घटित हो चुका होता है। अपने भूतकाल की कीर्तियों पर किसी बड़प्पन का अहसास किसी मृगमरीचिका की तरह है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हर चाँद के पीछे एक काली रात छिपी होती है। इसलिए भूतकाल को भूलकर हमें अपने वर्तमान की ओर ध्यान देना चाहिए।
यश या वैभव या पीछे की जमापूँजी; कुछ भी बाकी नहीं रहता है। आप जितना ही दौड़ेंगे उतना ज्यादा भूलभुलैया में खो जाएँगे; क्योंकि भूतकाल में बहुत कुछ घटित हो चुका होता है। अपने भूतकाल की कीर्तियों पर किसी बड़प्पन का अहसास किसी मृगमरीचिका की तरह है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हर चाँद के पीछे एक काली रात छिपी होती है। इसलिए भूतकाल को भूलकर हमें अपने वर्तमान की ओर ध्यान देना चाहिए।