छुअत टूट रघुपतिही न दोसू में कों सा अलंकार है
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raghupatihi alankar hai
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Hii...
=> सो, बिलगाउ बिहाइ में अनुप्रास अलंकार की छटा दिखाई समझकर नहीं मार रहा और तू मुझे निरा सीधा-सादा मुनि समझ रहा है। नाश करके पृथ्वी पर ब्राह्मणों का आधिपत्य स्थापित कर दिया। आगे लखन कहा हसि हमरे जाना। छुअत टूट रघुपतिहु न दोसू।
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