छा-छााÓ को रा' Rनमाण क आरUभक चरण म अÆययन क अRतPरã समाज सवा क साधारण कायÄ म भी Tच लनी
चाRहए । छा --जीवन म मा पÔतकय अÆययन -- मनन उनक TãÃव को सही ढग स RवकTसत नह कर सकता। उÇह
अपन सामाVजक पPरवश को जानना -समझना पड़गा । रा'ीय चतना तथा रा'ीय दाSयÃव -बोध क Tलए उÇह सामाVजक
पPरवश स जड़त ए रा'ीय एव अतरा'ीय पPरवश क साथ भी अपन आप को जोड़ना पड़गा । भारत RवUभ सÔकRतयÂ ,
धमÃ ,भाषाÓ , रहन-सहन और रीRत-PरवाजÂ का दश ह । अतः छा समाज को पाPरवाPरक और °ीय दायरÂ को समझन क
साथ-साथ भारत क वहत समाज को भी समझना पड़गा एव उसक साथ आÃमीयता +ाRपत करनी पड़गी। समाज सवा
रा'ीय आÃमा क Rनकट पचन का अRनवाय साधन ह। Ãयक छा एव छाा क Tलए यह आवÒयक ह Rक वह अपन
पड़ोTसयÂ , महÏला वाTसयÂ, ýाम एव नगर वाTसयÂ क सख -ख म सYÌमTलत होकर उनक सहायता कर। रोRगयÂ क सवा,
असहायÂ क सहायता, महÏल क सफाई, सा°रता चार , घटनाýÔत Tã क सहायता आQद समाज सवा क ऐस काय
ह , Vजनम वह भाग ल सकता ह । इन कायÄ स उनक TãÃव म अनशासन, उदारता , सहकाPरता , आÃम Ãयाग , दश- म
जस सÅगणÂ का सहज ही Rवकास होगा।
(1) सामाVजक पPरवश स जड़न क आवÒयकता ´यÂ बताई गई ह
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I don't have plz mark as brainlist
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