छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल बाँस था कि बबूल?
Answers
Answered by
10
Explanation:
उस छोटे दंतुरित बच्चे का ऐसा मनोरम रूप था कि चाहे कोई कितना भी कठोर क्यों न रहा हो पर उसे देख मन ही मन प्रसन्नता से भर उठता था। चाहें बाँस के समान हो या कांटों भरे कीकर के समान, पर उसकी सुदंरता से प्रभावित हो वह उसकी ओर देख मुस्कराने के लिए विवश हो जाता था।
I hope this is help you....
Answered by
59
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
♕♕
छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल बाँस था कि बबूल?
इस पंक्ति द्वारा कवि कहते है कि बच्चे की मुस्कान इतनी मनमोहक हैं कि उसे देखकर बबूल जैसे कठिन पेड़ भी शेफालिका की फूल की तरह झरने लगते है। अर्थात कोई भी कठिन व्यक्ति उसकी मुस्कान देखकर पिघल सकता है।
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
Similar questions