Hindi, asked by Bhaiyasaheb, 11 months ago

छात्र अनुशासन पे भाषण

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Answered by tishtha0902007
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hope so it will help you

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Answered by jayathakur3939
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सम्मानित प्रिंसिपल,  शिक्षकगण और प्रिय साथी छात्रों – आप सभी को मेरी ओर से नमस्कार !

आज मैं आरिंदम कंवर अनुशासन पर भाषण देने के लिए आपके सामनेखड़ा हूँ । मुझे आप सभी से यह बात करते हुए बहुत दुख हो रहा है कि हमारे शिक्षक और प्रबंध समिति हमारे स्कूल में बढ़ती अनुशासनहीनता से बहुत ज्यादा परेशान हैं । कुछ छात्रों को अक्सर स्कूल में देर से आते हुए देखा जा सकता है जिसके कारण अन्य छात्रों पर भी इसका बुरा असर पड रहा है । इतना ही नहीं छात्रों ने कक्षाएं बंकींग करनी भी शुरू कर दी हैं जिसके कारण छात्र परीक्षाओं की ओर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं |यही कारण है कि मैंने अनुशासन पर भाषण देने के लिए सोचा |  

छात्रों  को बचपन से ही अनुशासन में रहना  चाहिए । अनुशासन में रहने की सीख उसे अपने घर से ही प्राप्त होती है । छात्रों को चाहिए कि विद्यालय में रहकर विद्यालय के बनाए सभी नियमों का पालन करे । अध्यापकों द्वारा घर के लिए दिए गए गृहकार्य को नियमित रूप से करना चाहिए । समय पर अपने सभी कार्य करने चाहिए । यह अनुशासन हमारे विद्यालय से भी  शुरू होता है । छात्रों के रूप में अनुशासित जीवन जीना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी बन जाती है यानी समय पर विद्यालय आना, सभी कक्षाओं में भाग लेना, सभी कक्षाओं की शिक्षाओं का पालन करना और हमारी शिक्षाविदों और इच्छाओं के बीच संतुलन बनाना । यह आवश्यक है कि हर व्यक्ति अनुशासन का पालन करें, चाहे वह गृहिणी हो, व्यापारिक व्यक्ति, कलाकार या किसी विषय पर काम कर रहा कोई छात्र हो । इसलिए छात्रों के रूप में हमारा सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण समय पर ध्यान होना चाहिए और हमारी पढ़ाई के लिए ईमानदारी से समर्पित होना चाहिए।

हम सभी को यह जानना चाहिए कि अनुशासन हमारे उद्देश्यों और उपलब्धियों के बीच पुल के रूप में कार्य करता है । अनुशासन का उद्देश्य एक निजी राष्ट्र के निर्माण के लिए व्यक्तिगत लक्ष्यों को हासिल करने के लिए या समाज द्वारा बनाए गए नियमों और कानूनों का पालन करने के लिए तैयार करने का प्रावधान है । ज्यादातर समय अनुशासन को दूसरों के द्वारा पालन करने की सलाह देने की बजाए स्वयं पालन करना चाहिए |हमें यह समझना चाहिए अनुशासन हमारी अपनी भलाई और प्रगति के लिए है ।  

अंत में मैं सिर्फ यह कहना चाहता हूं कि हमें विद्यालयों में अनुशासन पर जोर देना चाहिए । विद्यार्थियों का मन चंचल और शरारती होता है । अनुशासन उनके चंचल मन को स्थिर करता है । यह स्थिरता उन्हें जीवन के सघर्ष में दृढतापूर्वक आगे बढ़ने में सहायक होती है । यह सब अनुशासन के कारण ही संभव हो पाता है ।

धन्यवाद !

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