छात्र और अनुशासन पर निबंध इन हिंदी संकेत बिंदुओं के आधार पर
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विद्यार्थी जीवन में तो इसकी उपयोगिता और भी बढ़ जाती है क्योंकि यह वह समय होता है जब उसके व्यक्तित्व का निर्माण प्रांरभ होता है । दूसरे शब्दों में, विद्यार्थी जीवन को किसी भी मनुष्य के जीवनकाल की आधारशिला कह सकते हैं क्योंकि इस समय वह जो भी गुण अथवा अवगुण आत्मसात् करता है उसी के अनुसार उसके चरित्र का निर्माण होता है ।
कोई भी विद्यार्थी अनुशासन के महत्व को समझे बिना सफलता प्राप्त नहीं कर सकता है । अनुशासन प्रिय विद्यार्थी नियमित विद्यालय जाता है तथा कक्षा में अध्यापक द्वारा कही गई बातों का अनुसरण करता है । वह अपने सभी कार्यों को उचित समय पर करता है । वह जब किसी कार्य को प्रारंभ करता है तो उसे समाप्त करने की चेष्टा करता है ।
अनुशासन में रहने वाले विद्यार्थी सदैव परिश्रमी होते हैं । उनमें टालमटोल की प्रवृत्ति नहीं होती तथा वे आज का कार्य कल पर नहीं छोड़ते हैं । उनके यही गुण धीरे-धीरे उन्हें सामान्य विद्यार्थियों से एक अलग पहचान दिलाते हैं ।
अनुशासन केवल विद्यार्थियों के लिए ही आवश्यक नहीं है, जीवन के हर क्षेत्र में इसका उपयोग है लेकिन इसका अभ्यास कम उम्र में अधिक सरलता से हो सकता है । अत: कहा जा सकता है कि यदि विद्यार्थी जीवन से ही नियमानुसार चलने की आदत पड़ जाए तो शेष जीवन की राहें सुगम हो जाती हैं ।
ये विद्यार्थी ही आगे चलकर देश की राहें सँभालेंगे, कल इनके कंधों पर ही देश के निर्माण की जिम्मेदारी आएगी अत: आवश्यक है कि ये कल के सुयोग्य नागरिक बनें और अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन धैर्य और साहस के साथ करें ।
वर्तमान में अनुशासन का स्तर काफी गिर गया है । अनुशासनहीनता के अनेक कारण हैं । बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा के दौर में आज लोग बहुत ही व्यस्त जीवन व्यतीत कर रहे हैं जिससे माता-पिता अपनी संतान को वांछित समय नहीं दे पाते हैं । इसी कारण बच्चों में असंतोष बढ़ता है जिससे अनुशासनहीनता उनमें जल्दी घर कर जाती है ।
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इसी प्रकार विद्यालय के कुछ छात्र जब परीक्षा या किसी प्रतिस्पर्धा में असफल हो जाते हैं तो वे कुंठा से ग्रसित हो जाते हैं । उनका असंतोष दूसरे विद्यार्थियों के अनुशासन पर भी प्रभाव डालता है । देश में बढ़ती हुई जनसंख्या भी अनुशासनहीनता के लिए उत्तरदायी है ।
देश के कुछ विद्यालयों की स्थिति ऐसी हो गई है कि 35-40 की क्षमता वाली कक्षाओं में 150 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं । कोई भी व्यक्ति स्वत: अनुमान लगा सकता है कि एक अध्यापक किस प्रकार सीमित समय में इतने बच्चों को ठीक ढंग से शिक्षा प्रदान कर सकता है ।
यह प्रामाणिक तथ्य है कि अनुशासन के बिना मनुष्य अपने उद्देश्य की प्राप्ति नहीं कर सकता है । विद्यार्थी जीवन में इसकी आवश्यकता इसलिए सबसे अधिक है क्योंकि इस समय विकसित गुण-अवगुण ही आगे चलकर उसके भविष्य का निर्माण करते हैं । अनुशासन के महत्व को समझने वाले विद्यार्थी ही आगे चलकर डॉक्टर, इंजीनियर व ऊँचे पदों पर आसीन होते हैं ।
परंतु वे अनुशासनहीनता के पथ पर चलते हैं तो वे शीघ्र ही कुसंगति के कुचक्र में फँस जाते हैं और सच्चाई तथा न्याय के मार्ग से विचलित हो जाते हैं । फलस्वरूप जीवन में वे ईर्ष्या, लालच, घृणा, क्रोध आदि बुराइयों के अधीन होकर अपना भविष्य अंधकारमय बना लेते हैं ।
अनुशासनहीनता को अच्छी शिक्षा व उचित वातावरण देकर नियंत्रित किया जा सकता है । इसके लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है ताकि विद्यार्थी उज्जल भविष्य की ओर अग्रसित हो सकें । अनुशासन में रहने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि राष्ट्र की उन्नति का मार्ग प्रशस्त हो जाता है ।
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विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध – Vidyarthi Aur Anushasan Essay In Hindi
June 30, 2020 by Laxmi
विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध – Essay On Vidyarthi aur Anushasan in Hindi
संकेत-बिंदु –
भूमिकाअनुशासन का अर्थअनुशासन का महत्त्वविद्यार्थियों में बढ़ती अनुशासनहीनताअनुशासनहीनता के दुष्परिणामअनुशासनहीनता रोकने के उपायउपसंहारविद्यार्थी और अनुशासन (Vidyarthi Aur Anushasan) – Student And Discipline
साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।
भूमिका – यदि मनुष्य अपने आसपास दृष्टि दौड़ाए और फिर ध्यान से देखते हुए विचार करे तो उसे लगेगा हमारे चारों ओर एक बनी बनाई व्यवस्था है जिससे अप्रत्यक्ष रूप से जुड़कर सभी कार्य कर रहे हैं। प्रकृति का ही उदाहरण लेते हैं। हम देखते हैं कि सूर्य समय पर निकल रहा है और तारे समय पर उदय होकर छिप रहे हैं। कुछ ऐसी ही व्यवस्था विद्यार्थियों के लिए भी आवश्यक होती है। इसी व्यवस्था का दूसरा नाम अनुशासन है।
अनुशासन का अर्थ – अनुशासन शब्द ‘शासन’ में ‘अनु’ उपसर्ग जोडने से बना है जिसका अर्थ है-शासन के पीछे चलना। इस शासन को व्यवस्था या नियम भी कहा जा सकता है। अर्थात् समाज और बड़े लोगों द्वारा निर्धारित किए गए नैतिक और सामाजिक नियमों का पालन करना ही अनुशासन कहलाता है।
अनुशासन का महत्त्व – अनुशासन का महत्त्व सर्वत्र है। जीवन में कदम-कदम पर अनुशासन का महत्त्व है। निरंकुश जीवन स्वेच्छाचारिता का शिकार होकर लक्ष्य से भटक जाता है। विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का विशेष महत्त्व है। यह जीवन का निर्माणकाल होता है। इस काल में अनुशासन की महत्ता सर्वाधिक होती है। इस समय घर में माता-पिता और बड़ों की बातें मानकर अनुशासित जीवन जीना चाहिए।
विद्यालय में एक आदर्श विद्यार्थी कहलाने के लिए अनुशासन का पालन अनिवार्य है। इसके लिए विद्यालय के नियमों, अपने अध्यापक एवं प्रधानाचार्य की आज्ञा का पालन करना अत्यावश्यक हो जाता है। इतना ही नहीं, विद्यालय की संपत्ति को नुकसान न पहुँचाना तथा अपने आसपास साफ़-सफ़ाई रखना अनुशासन के ही अंग हैं। दुर्भाग्य से विद्यार्थी अनुशासनहीनता पर उतरकर अवांछनीय कार्यों में शामिल हो जाते हैं।
विद्यार्थियों में बढ़ती अनुशासनहीनता के कारण – समाचार पत्र, दूरदर्शन मीडिया आदि के प्रभाव के कारण विद्यार्थियों में यह सोच बढ़ी है कि अब वे बच्चे नहीं रहे। अब उन्हें अनुशासन में रहने की आवश्यकता नहीं रही। यह सोच उन्हें अनुशासनहीनता की ओर उन्मुख करती है। इसके अलावा छात्रों का राजनीति में प्रवेश करना भी इसका मुख्य कारण है।
अनुशासनहीनता का दुष्प्रभाव – अनुशासनहीनता का दुष्प्रभाव अलग-अलग रूपों में नज़र आता है। अनुशासनहीन विद्यार्थी का ध्यान पढ़ाई में नहीं लगता है। वह पढ़ाई में पिछड़ता जाता है। वह लक्ष्यभ्रष्ट होकर माता-पिता की अपेक्षाओं पर तुषारापात करता है। अनुशासनहीन छात्र विद्यालय परिसर में अपनी ताकत दिखाने के लिए छात्रों को अपने साथ मिलाने का प्रयास करते हैं।
वे बात-बात में विद्यालय, कॉलेज या अन्य संस्थान बंद कराने के लिए तोड़-फोड़ का सहारा लेते हैं और सरकारी संपत्ति को क्षति पहुँचाते हैं। इसके अलावा लालच, बुरी संगत में पड़ना, आवश्यकता एवं पाकेटमनी से अधिक खर्च करने का शौक, दिखावे की प्रवृत्ति आदि भी छात्रों को अनुशासनहीनता की ओर उन्मुख करती है।
अनुशासनहीनता रोकने के उपाय – अनुशासनहीनता रोकने का पहला उपाय है-आत्मानुशासन में रहना। यदि व्यक्ति अपने शासन में रहता है तो यह समस्या नहीं आती है। इसके अलावा छात्रों को नैतिक शिक्षा अवश्य दी जानी चाहिए। छात्रों के साथ मित्रवत व्यवहार करना, उनकी बातें सुनकर उनकी समस्या का निवारण करने से अनुशासनहीनता रोकी जा सकती है।
उपसंहार – जीवन में सफलता पाने के लिए अनुशासन बहुत आवश्यक है। अनुशासन हमें अच्छा मनुष्य बनने में सहायता करता है। हम सबको अनुशासनबद्ध जीवन जीना चाहिए।