Hindi, asked by patidarsachin507, 3 days ago

छोटे से जीवन की कैसे बड़ी कथाएँ आज कहूँ ? क्या यह अच्छा नहीं कि औरों की सुनता मैं मौन रहूँ ? सुनकर क्या तुम भला करोगे मेरी भोली आत्म-कथा ? अभी समय भी नहीं, थकी सोई है मेरी मौन व्यथा । vyakhya​

Answers

Answered by seemasaxena71299
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Answer:

क्या यह अच्छा नहीं कि औरों की सुनता मैं मौन रहूँ? सुनकर क्या तुम भला करोगे मेरी भोली आत्म-कथा? अभी समय भी नहीं, थकी सोई है मेरी मौन व्यथा। प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ छायावादी काव्यधारा के प्रवर्त्तक श्री जयशंकर प्रसाद के द्वारा रचित कविता 'आत्मकथ्य' से ली गई हैं।

Answered by franktheruler
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दी गई पंक्तियों की व्याख्या निम्न प्रकार से की गई है

  • संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियां " आत्मकथ्य " कविता से ली गई है। इस कविता के रचयिता है जयशंकर प्रसाद ।

  • प्रसंग : कवि जयशंकर प्रसाद जी से कहा गया था कि वे अपने जीवन की कथा लिखे जिससे सभी उनके जीवन की कहानी से परिचित हो सके । कवि ने उसी संदर्भ में यह कविता लिखी थी।
  • व्याख्या : कवि जयशंकर प्रसाद छायावादी युग के महान कवि थे। कवि कहता है कि उसका जीवन तो छोटा सा है, उसमें कोई सुख नहीं, उसके जीवन में बताने लायक कुछ विशेष नहीं तो वह बड़ी बड़ी कहानियां कहां से बताए ? इस कारण जैव चुप रहना चाहता है तथा औरों की कहानियां सुनना चाहता है।
  • आगे कवि यह कहता है कि लोग मेरी कहानी सन कर क्या करेंगे ? उसकी कहानी सीधी सादी है, उसे कहानी सुनने का अनुकूल अवसर भी नहीं मिला है। कवि के अन्दर की में पीड़ा तो अन्दर दबी पड़ी थी, थकी हारी सो रही थी तो वह कैसे कुछ बताए ?

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