छाड़ि दयी कुल की कानि, कहा करिहै कोई?" इस पंक्ति से मीरा की कौन-सी भावना प्रकट होती है?
O समाज के प्रति चुनौती
O विनयभाव
O समाज के सामने याचना भाव
O समाज से डरने का भाव
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a-samaj me prati chunoti
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छाड़ि दयी कुल की कानि, कहा करिहै कोई?" इस पंक्ति से मीरा की समाज के प्रति चुनौती की भावना प्रकट होती है|
- मीराबाई कहती हैं-मेरे तो गिरिधर गोपाल अर्थात श्रीकृष्ण ही सर्वस्व हैं। 'अन्य किसी से मेरा कोई संबंध नहीं है। जिस श्रीकृष्ण के सिर पर मोर-मुकुट है, वही मेरा पति है। में श्रीकृष्ण को ही अपना पति (रक्षक) मानती हूँ।
- इस भक्ति के लिए मैंने अपने माता पिता, भाई-बंधु आदि सभी को छोड़ दिया है। वे मरे कोई नहीं होते। मेंने तो अपने वंश-परिवार की मर्यादा का भी त्याग कर दिया है, अब मेरा कोई कुछ नहीं नहीं कर सकता अर्थात मे किसी की चिंता नहीं है।
- मेंने तो लोक-लज्जा -को खोकर संतों के निकट बैठना स्वीकार कर लिया है।
- साधु-सन्तों के पास बैठने से यदि लोक-लज्जा जाती है तो भले ही चली जाए, मुझे कोई अंतर नहीं पड़ता। मेंने अपने आँसुओं रूपी जल से प्रभु-प्रेम रूपी बेल को बोया है। अब तो यह प्रेम बेल फलने-फूलने लगी है और इसमें आनंद रूपी फल आ रहा है।
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