Hindi, asked by anush2472, 8 months ago

छायावाद एवं प्रगतिवाद की परिभाषा लिखें।​

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Answered by artiakshat8887
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Explanation:

छायावाद हिंदी साहित्य के रोमांटिक उत्थान की वह काव्य-धारा है जो लगभग ई.स. १९१८ से १९३६ तक की प्रमुख युगवाणी रही।

[1] जयशंकर प्रसाद, सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला', सुमित्रानदन पंत, महादेवी वर्मा इस काव्य धारा के प्रतिनिधि कवि माने जाते हैं। छायावाद नामकरण का श्रेय मुकुटधर पाण्डेय को जाता है।

[2] मुकुटधर पाण्डेय ने श्री शारदा पत्रिका में एक निबंध प्रकाशित किया जिस निबंध में उन्होंने छायावाद शब्द का प्रथम प्रयोग किया | कृति प्रेम, नारी प्रेम, मानवीकरण, सांस्कृतिक जागरण, कल्पना की प्रधानता आदि छायावादी काव्य की प्रमुख विशेषताएं हैं। छायावाद ने हिंदी में खड़ी बोली कविता को पूर्णतः प्रतिष्ठित कर दिया। इसके बाद ब्रजभाषा हिंदी काव्य धारा से बाहर हो गई। इसने हिंदी को नए शब्द, प्रतीक तथा प्रतिबिंब दिए। इसके प्रभाव से इस दौर की गद्य की भाषा भी समृद्ध हुई। इसे 'साहित्यिक खड़ीबोली का स्वर्णयुग' कहा जाता है।

छायावाद के नामकरण का श्रेय 'मुकुटधर पांडेय' को दिया जाता है। इन्होंने सर्वप्रथम 1920 ई में जबलपुर से प्रकाशित श्रीशारदा (जबलपुर) पत्रिका में 'हिंदी में छायावाद' नामक चार निबंधों की एक लेखमाला प्रकाशित करवाई थी।[3] मुकुटधर पांडेय जी द्वारा रचित कविता "कुररी के प्रति" छायावाद की प्रथम कविता मानी जाती है ।

Answered by ANGEL123401
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छायावाद

  • काव्य की वह विशिष्ट पद्धति जिसमें व्यक्तिवादी भावनाएं प्रगट की जाती हैं और इसमें मध्यमवर्ग की असंगति की भावना तथा पलायन भी विद्यमान है।

जैसे:-

  • 'प्रसाद' ,' निराला' ,' महादेवी वर्मा' का काव्य

प्रगतिवाद

  • वह काव्य की धारा है जिसमें कवि पूंजीवादी व्यवस्था और प्रवृति का विरोध करता है।

जैसे:-

  • 'बापू के प्रति' कविता

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