छत्तीसगढ़ की चित्रकला एवं स्थापयं कला का महत्त्व बताना
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रायपुर में स्थापित महाकौशल कला विथिका ने आधुनिक चित्रकला को न सिर्फ प्रोत्साहित किया बल्कि राज्य के सैकड़ों कलाकरों को कलात्मक मंच भी प्रदान किया। राज्य में आधुनिक चित्रकला के कलात्मक विकास में सर्वप्रथम नाम - कल्याण प्रसाद शर्मा, ए. के
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प्रदर्शनकारी कलाएं और रूपंकर कलाएं प्रदर्शनकारी कलाओं के अन्तर्गत नृत्य, नाटय आदि आते है । रूपंकर कलाओं के अन्तर्गत वे सभी कलाएं आती है जिनके द्वारा आदिवासी अपने कालभाव को रूपाकार देते है ।
शिल्प विधाओं के संरक्षण, विस्तार और सौन्दर्यपरकता में कई जातियों के पुराप्रतीक और ऐतिहासिक स्मृतियों को सहज रुप से देखा जा सकता है, जिसमें उनकी प्राचीन कला और संस्कृति का परिचय मिलता है। जनजातियों के बारे में यह आश्यर्चजनक सत्य है कि उनका जीवन एक सम्पूर्ण इकाई के रूप में होता है। वे किसी बाहा वस्तु पर निर्भर नहीं होते। एक आदिवासी मिट्टी, लकडी, लोहे, बाँस, घास -पत्ता आदि की उपयोगी और कलात्मक वस्तुओं का सूजन परम्परा से करता आया है। इसी कारण जनजातियों के पारम्परिक शिल्पों में वैविध्य के साथ आदिमता सहज रूप से दिखती है। मुख्य रूप से जनजातीय शिल्प के निम्नलिखित स्वरूप मिलते हैं.
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। उस समय मध्य प्रदेश का क्षेत्रफल 4,43,452 वर्ग किलोमीटर था। जो देश का क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य था। देश के सात राज्यों उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश, उड़ीसा और बिहार से इसकी सीमा मिली हुई थी।
31 अक्टूबर, 2000 को मध्य प्रदेश का विभाजन कर छत्तीसगढ़ को देश का 26वाँ राज्य गठित किया गया। वर्तमान विभाजित मध्य प्रदेश में 50 जिले तथा 9 सम्भाग हैं। इसकी सीमा 5 राज्यों (राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र तथा गुजरात) को छूती है।