Math, asked by spuranb9495, 8 months ago

छत्तीसगढ़ kiss Hindi के अंतर्गत आती है​

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Answered by atulshukla53
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Step-by-step explanation:

छत्तीसगढ़ी के अंतर्गत में आती है

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Answered by rudrasharma9881
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Step-by-step explanation:

भारत के मध्यपूर्व में छत्तीसगढ़ प्रदेश 17046’ उत्तरी अक्षांश से 240 06’ उत्तरी अक्षांश तथा 800 15’ पूर्वी देशांश से 84051’ पूर्वी देशांश तक 1,35,191 वर्ग किमी. क्षेत्र में विस्तृत है। इस प्रदेश के अन्तर्गत सम्पूर्ण देश का 4.11 प्रतिशत भाग समाहित है। 1 नवम्बर 2000 को मध्य प्रदेश से विभाजित छत्तीसगढ़ देश का नवगठित 26वाँ राज्य है। इस राज्य के अन्तर्गत 3 सम्भाग, 16 जिले, 93 तहसीलें, 146 विकासखण्ड हैं।

राज्य के बिलासपुर सम्भाग में 8 जिले कोरिया, सरगुजा, जशपुर, कोरबा, रायगढ़, जांजगीर-चांपा, बिलासपुर तथा कवर्धा, रायपुर संभाग में 5 जिले रायपुर, दुर्ग, राजनांदगाँव, महासमुंद तथा धमतरी और बस्तर संभाग में 3 जिले बस्तर, कांकेर तथा दंतेवाड़ा सम्मिलित हैं। राज्य की सीमा का निर्धारण उत्तर में उत्तर-प्रदेश, उत्तर-पूर्व में बिहार, पूर्व में उड़ीसा, दक्षिण पूर्व तथा दक्षिण में आन्ध्र प्रदेश, दक्षिण पश्चिम में महाराष्ट्र और पश्चिम तथा उत्तर पश्चिम में मध्य प्रदेश के द्वारा होता है।

02. भू-वैज्ञानिक संरचना :-

क्षेत्र विशेष की भू-वैज्ञानिक संरचना उस क्षेत्र की आर्थिक एवं औद्योगिक विकास की निर्धारक होती है। विकास का आधार होने के साथ खनिज संसाधन, प्राकृतिक वनस्पति तथा मृदा निर्धारण में भी भू-वैज्ञानिक संरचना विशेष महत्त्वपूर्ण है।

छत्तीसगढ़ प्रदेश की भू-वैज्ञानिक संरचना के अन्तर्गत आद्यमहाकल्प, धारवाड़ क्रम, कडप्पा क्रम, गोंडवाना क्रम तथा दक्कन ट्रैप के शैल समूह सम्मिलित हैं, जिनका विवरण इस प्रकार है -

क. आद्य महाकल्प शैल समूह :- इस शैल समूह की चट्टानें जशपुर जिले की कुनकुरी तथा बागीचा तहसीलों, सरगुजा जिले के सूरजपुर तथा रामानुजगंज तहसीलों के उत्तरी भाग के कुछ क्षेत्रों, बिलासपुर जिले के उत्तरी क्षेत्र पेण्ड्रा रोड तथा कोटा तहसीलों में, कोरबा जिले के अन्तर्गत कटघोरा में, पूर्वी राजनांदगाँव, दक्षिणी दुर्ग, महासमुन्द तथा धमतरी जिले के दक्षिणी भाग, कांकेर और दंतेवाड़ा जिले की बीजापुर, कोन्टा तथा भोपाल पट्टनम तहसीलों में विस्तृत हैं। इस समूह में अवर्गीकृत क्रिस्टलीय नाइस तथा ग्रेनाइट चट्टानें सम्मिलित हैं।

ख. धारवाड़ शैल समूह :- धारवाड़ शैलें कायान्तरित अवसादी शैलें हैं, जिनमें भ्रंशन तथा उत्तर दक्षिण अक्ष वाले वलन पाये जाते हैं। छत्तीसगढ़ प्रदेश में धारवाड़ क्रम की चट्टानों का विस्तार सरगुजा जिले के उत्तरी भाग में (जहाँ स्लेट तथा फाइलाइट शैलों के साथ क्वार्टजाइट तथा पैठिक लावा निर्मित शैलें मिलती हैं), बिलासपुर जिले में पेण्ड्रा के कुछ भाग में, रायगढ़ जिले के पूर्वी लैलुंगा क्षेत्र में, रायपुर जिले के दक्षिण बिलाईगढ़ तहसील के सोनारवान तथा देवरी क्षेत्र में, राजनांदगाँव जिले के उत्तरी पश्चिमी भाग में तथा दुर्ग जिले के दक्षिणी भाग में है।

दण्डकारण्य में धारवाड़ शैलों के वृहत क्षेत्र हैं, जैसे दन्तेवाड़ा में बैलाडीला की पहाड़ी, नारायणपुर में अबूझमाड़ पहाड़ी के उत्तर में रावघाट पहाड़ी और नारायणपुर, भनुप्रतापपुर में आरीडोंगरी आदि पहाड़ियाँ। छत्तीसगढ़ में धारवाड़ क्रम की चट्टानों का महत्त्व लौह अयस्क के संचित भण्डार के कारण है। दल्लीराजहरा तथा बैलाडीला क्षेत्र का लौह अयस्क का जमाव धारवाड़ शैल समूह में ही पाया गया है।

ग. कडप्पा शैल समूह : छत्तीसगढ़ बेसिन के अधिकांश में विस्तृत कडप्पा शैल समूह प्रदेश का सर्वप्रमुख शैल समूह है। इसका विस्तार बेसिन के अतिरिक्त जगदलपुर के आस-पास पाया जाता है।

कडप्पा शैल समूह के दो मुख्य भाग है : निचली चन्द्रपुर सीरीज तथा ऊपरी रायपुर सीरीज। चन्द्रपुर सीरीज 60 से 300 मीटर मोटी है। इसमें बलुआ पत्थर, क्वार्टजाइट तथा कांग्लोमिरेट चट्टानें पाई जाती हैं। रायपुर सीरीज के अन्तर्गत मुख्य रूप से शैल तथा चूना पत्थर की चट्टानें मिलती हैं। इसमें चूना पत्थर संस्तर की मोटाई कहीं-कहीं 650 मीटर तक है। यहाँ का चूना पत्थर सीमेंट ग्रेड का है जो प्रदेश में सीमेंट उद्योग के विकास का मुख्य आधार है।

घ. गोंडवाना शैल समूह : गोंडवाना शैल समूह का निर्माण ऊपरी कार्बोनिफेरस युग से जुरासिक युग के बीच हुआ है। छत्तीसगढ़ में गोंडवाना शैल समूह के दो प्रकार पाये जाते हैं -

(1) निचला गोंडवाना समूह :- इस समूह की चट्टानें कोरबा जिले के उत्तरी पूर्वी भाग, कटघोरा तहसील के उत्तरी भाग के कुछ क्षेत्रों, रायगढ़ जिले के उत्तर पश्चिम तथा मध्य भाग अर्थात घरघोड़ा तथा धरमजयगढ़ तहसील तथा कोरिया जिले के दक्षिणी भाग तथा सरगुजा जिले के कुछ भाग में पाई जाती हैं।

(2) ऊपरी गोंडवाना समूह :- कोरिया जिले के उत्तरी भाग, कोरबा तथा रायगढ़ जिले के उत्तरी मध्य भाग ऊपरी गोंडवाना शैल समूह के अन्तर्गत सम्मिलित किये जाते हैं, जिनमें मुख्यतः बालुका पत्थर, शेल तथा कोयले के संचित भण्डार पाये जाते हैं, जिससे इनका आर्थिक महत्त्व अधिक है

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