छत्तीसगढ़ में सिंचाई व्यवस्था न होती, तो कृषि पर क्या प्रभाव पड़ता? लिखिए
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Answer:
है और कुछ नौकरशाहों के हाथ में ही ऐसे कामों को सौंपकर अपनी जिम्मेदारी
की इतिश्री करना चाहती है। इसका नतीजा वही है, जो अक्सर ऐसे
नीति-दस्तावेजों में होता है- अंतर्विरोधों की भरमार, गलत-सलत आंकड़ों की
बौछार (-लेकिन इन आंकड़ों को कोई विश्लेषण नहीं कि किसी सार्थक निष्कर्ष
पर पहुंचा जा सके-) और किसान समुदाय के नाम पर ऐसी पूर्वाग्रही नीतियों
का ही प्रतिपादन, जो उनकी बर्बादी के लिए जिम्मेदार है।
भूमि सुधार ‘गायब’
प्रदेश की जीडीपी (सकल घरेलु उत्पाद) में
Explanation:
के गिरते जीवन स्तर, कृषि निवेश में कमी, कृषि ऋण व फसल बीमा तक पहुंच न
होने, लाभकारी मूल्य के अभाव तथा सर्वाधिक ‘किसान आत्महत्या दर’ में होती
है।
पिछले वर्ष अक्टूबर में छत्तीसगढ़ की भाजपाई सरकार ने कृषि नीति जारी
किया था। इस पर व्यापक रुप से किसान समुदाय और राज्य में कार्यरत किसान
संगठनों के बीच विचार-विमर्श होना चाहिये था, लेकिन यह मुख्यतः उनकी
नजरों से ओझल ही रखा गया। इसका सीधा-सीधा कारण यही है कि भाजपा सरकार
Answer:
- छत्तीसगढ़ एक कृषि प्रधान राज्य है
- छत्तीसगढ़ मे अगर सिंचाई व्यवस्था न होती तो वहां के किसानों को बारिश का सहारा लेना पड़ता.
- बारिश कभी जरूरत से ज्यादा होती है तो कभी होती ही नहीं
- ऐसे मे, किसना अपने लागत का मुनाफा नहीं कमा पाते.
#SPJ2