Chhatron mein badhta hua asantosh is per nibandh
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प्रस्तावना– हमारा देश वर्तमान में संक्रमण के काल से गुजर रहा हैं. इस समय राष्ट्र के हर क्षेत्र में असंतोष फैला हुआ हैं. गरीबी के कारण आर्थिक असंतोष बढ़ता जा रहा हैं. समाज की दो पीढ़ियों में सामजस्य न होने के कारण सामाजिक असंतोष पनप रहा हैं. बेरोजगार युवाओं में असंतोष के दृश्य आये दिन सामने आते रहते हैं.
असंतोष के कारण– छात्रों और नवयुवकों में व्याप्त असंतोष के कई कारण हैं, सबसे बड़ा कारण बेरोजगारी. शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद युवक युवतियों को अरसे तक बेकार रहना पड़ता हैं. शिक्षा प्रणाली भी असंतोषजनक हैं. विश्वविद्यालयों की डिग्री को ही युवकों के भविष्य का निर्णायक मान लिया जाता हैं. शासन व्यवस्था में भ्रष्टाचार के कारण उनमे राजनीतिक असंतोष पनप रहा हैं. देशव्यापी महंगाई, नौकरशाही में रिश्वतखोरी तथा लालफीताशाही ने सभी को परेशान कर रखा हैं. युवाओं और बुजुर्गों के मध्य वैचारिक वैषम्य अधिक हैं. आर्थिक असमानता भी एक प्रमुख कारण हैं.
असंतोष के परिणाम– छात्रों एवं युवाओं में व्याप्त इस असंतोष के कारण ही हड़ताल, आगजनी व तोड़फोड़ की घटनाएं होती रहती हैं. समाज में अशांति फैलती रहती हैं. अपराधों के पनपने में भी यह असंतोष उत्तरदायी हैं. अतः असंतुष्ट छात्र तथा युवागण किसी भी जिम्मेदारी का सम्यक पालन नहीं करते हैं.
असंतोष को दूर करने के उपाय– नवयुवकों में व्याप्त असंतोष को दूर करना जरुरी हैं. इसके लिए असंतोष के कारणों को दूर किया जाना आवश्यक हैं. युवकों को यथासंभव रोजगार उपलब्ध करवाया जाए. शिक्षा प्रणाली में सुधार किया जाए. इसी भांति शासन व्यवस्था में सुधार करके भ्रष्टाचार व रिश्वतखोरी की रोकथाम भी आवश्यक हैं. बुजुर्गों को भी चाहिए कि बदले और युवकों को को नई हवा के अनुरूप तथा उचित दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करे.
उपसंहार- इन सुधारों के आधार पर नवयुवकों के अच्छे भविष्य की आशा की जा सकती हैं. अन्यथा यह असंतोष युवा पीढ़ी का पतन कर देगा. वैसे भी युवा शक्ति का समुचित उपयोग करना जरुरी हैं. नवयुवक ही हमारे राष्ट्र के भावी सुनागरिक हैं.
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