Chief ki dawat ka uddeshya kya hai
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‘ चीफ की दावत ’ भीष्म साहनी द्वारा रचित प्रमुख कहानी है। इस कहानी में उन्होने मध्यमवर्गीय समाज के खोखलेपन तथा दिखावटीपन को दर्शाया है। उनके द्वारा रचित कहानी आज भी उतनी ही प्रासंगिक है। जितनी उस समय थी। भीष्म साहनी ने शामनाथ के माध्यम से शिक्षित युवा पीढ़ी पर करारा व्यंग्य किया है। आज के शिक्षित युवा वर्ग अपने माता पिता को बोझ समझते हैं। व्यक्ति अपनी सुख सुविधा के लिए अपने माता पिता को छोड़ देते हैं। वे यह तक भूल जाते हैं कि आज जिस समाज मे तुम रह रहे हो उनकी बदौलत है। अपने बच्चो को काबिल बनाने के लिए माता पिता अपना सर्वस्व समर्पित कर देते हैं। उनका पूरा जीवन अपने बच्चों की खुशी के लिए बलिदान में व्यतीत हो जाता है। ‘ चीफ की दावत ’ एक ऐसी ही कहानी है , जिसमें स्वार्थी बेटे शामनाथ को अपनी विधवा बूढ़ी माँ का बलिदान फर्ज ही नजर आता है।
'चीफ की दावत' कहानी का उद्देश्य क्या है।
व्याख्या :
'चीफ की दावत' कहानी का उद्देश्य :
'चीफ की दावत' कहानी का मुख्य उद्देश्य मध्यम वर्गीय परिवार के जीवन के यथार्थ को प्रकट करना है। चीफ की दावत कहानी एक ऐसे स्वार्थी बेटे पर आधारित कहानी है जो अपनी माँ के साथ जिसने उसे पाल पोस कर बड़ा किया और उसे अफसर बनाने लायक शिक्षित किया, उसी के साथ उपेक्षा पूर्ण व्यवहार करता है। जब उसे अपनी पदोन्नति की आवश्यकता पड़ती है तो वह अपनी माँ की खुशामद करने से नहीं चूकता।
यह कहानी ऐसे स्वार्थी बच्चों की मानसिकता को प्रकट करती है जो अपने बूढ़े मां बाप को के योगदान को शीघ्र ही भूल जाते हैं और उनकी वृद्धावस्था में जब मां-बाप को अपनी संतान के समर्थन की आवश्यकता होती है, तो उनकी उपेक्षा करते हैं। और उन्हें बोझ के समान समझने लगते हैं। लेकिन जब उनका स्वार्थ आता है तो वही माँ-बाप उन्हें अच्छे लगने लगते हैं।
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