chitra barman of railway station with picture in hindi
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HOMEWORK HELP > THE MERCHANT OF VENICE
Write a character sketch of Bassanio?
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Quick Answer
Bassanio is generally reckless, both with his own money and the money of others. On the surface, he is largely selfish and extravagant, initially wanting to marry Portia for her money, but eventually, we see his instead a more charming youthful enthusiasm and growing love for Portia beyond her financial means. Maybe Bassanio isn't such a bad person, but rather, he just needs to mature more.
Expert Answers
KAREN P.L. HARDISON | CERTIFIED EDUCATOR
Bassanio in Shakespeare's The Merchant of Venice is the central instigator of all the follows and he not the most steady young man in Venice. He has considerable bad qualities but he also has considerable good qualities, although the good ones may not be of a nature that they can counterbalance the bad.
First, Bassanio is a reckless youth with no wisdom or thought for the future. He has spent whatever fortune he had instead of living within the scope of his financial means. He hasn't learned from anything that has transpired before the play opens that may have contributed to the loss of all his financial resources. We know this because he is staking his chance of recouping his lost fortune on a gamble that he will be the one to choose the right casket (a small chest or box for valuables) that will win the hand of the heiress Portia in a strange matrimonial test set up by her late father.
In these dire straits--no money; in love with a rich girl who is guarded in marriage by a casket-selecting contest--he pleads with his devoted friend Antonio to loan him money with which he can put on a show, a pretense, of wealth to impress the fair Portia. There is nothing reckless in turning to ask a friend for help, but when the friend is in tight financial straits himself it does appear reckless to press the point of a loan. To cap the picture of recklessness with an added image of arrogant audacity or blind impetuosity, Bassanio stands by while Antonio unrealistically agrees to impossible terms on a loan that is secured on a wish and a prayer instead of on material reality--as far he knows, Antonio's ship has a 50/50 percent chance of getting safely back into harbor.
What about Bassanio's good qualities? He has the energy and enthusiasm of youth. He is devoted in his admiration for Portia. He is a staunch and loyal friend. His friendship for Antonio goes beyond loyalty when he offers to take Antonio's place in the court hearing over the unfulfilled repayment of the loan taken from Shylock. Bassanio offers his own hand, head or heart in place of the pound of flesh that is due to Shylock to be cut from Antonio.
So in opposition to his bad qualities, Bassanio offers true friendship; true loyalty; true love; true devotion. It is debatable as to whether these highly laudable qualities counterbalance impetuosity, imprudence, immoderation; extravagance of idea and living; and frivolity. If these bad traits are nothing more than the scourge of youth, Bassanio has the makings of an admirable man. If, on the other hand, these qualities are character and personality traits, then pity Portia and Antonio (who isn't all that wise himself).
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रेल्वे स्टेशन एक महत्वपूर्ण स्थान है । यहां पर रेलगाड़ियां आकर रुकती हैं जिससे की यात्री चढ़-उतर सकें । यहां से माल-असबाब भी इधर-उधर मालगाड़ियों से भेजा जाता है ।
दिन हो या रात, यहां पर हर समय चहल-पहल रहती है क्योंकि गाड़ियां और यात्त्री आते-जाते रहते हैं । यात्रियों का आना-जाना, फरोवालों की, आवाजें, गाड़ियों की गड़गड़ाहट और इंजनों की सीटियां आदि इसे शोरगुल वाला स्थान बना देती हैं । कभी-कभी तो यह शोरगुल और हड़बड़ी बड़ी बढ़ जाती हैं ।
रेलवे स्टेशन से सभी परिचित हैं । पिछले रवीवार मुझे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर जाने का अवसर मिला । वैसे ता मैं वहा कई बार गया हूं, परन्तु अकेले जाने का यह पहला अवसर था । मेरे चाचाजी को कलकत्ता से आना था । उनको लेने मैं वहां गया था । वे पहली बार दिल्ली आ रहे थे ।
स्टेशन के बाहर कारों, टैक्सियों, तिपहियां स्कूटरों, कुलियों, यात्रियों और फेरीवालों की बड़ी भीड़ थी । यात्री अपने सामान के साथ भागते हुए-से लग रहे थे । कुली सामान ले जाने में व्यस्त थे । टिकिट की खिड़कियों पर लम्बी-लम्बी कतारें थीं । अनेक लोग वहां किसी को लेने या छोड़ने आये थे । मैने एक प्लेटफॉर्म टिकिट खरीदा और अंदर चला गया ।
प्लेटफॉर्म टिकिट खरीदने में मुझे लगभग 20 मिनिट लग गये । प्लेटफॉर्म पर अपार भीड़ थी । यहां-वहां कई दुकाने थीं जिन पर पुस्तकें, चाय, मिठाइयां, भोजन, पान-बीड़ी आदि चीजें बिक रही थीं । अनेक फेरी वालें भी थे जो पुकार-पुकार कर अपना सामान बेच रहे थे । थोड़ी-थोड़ी देर में गाड़ियाँ आ-जा रही थीं ।
ऐसे समय तो जैसे भगदड़-सी मच जाती थी । लोग चढ़ने को उतावले रहते थे तो दूसरे उतरने को । ऐसे में धक्का-मुक्की हो जाती थी । महिलाओं, बच्चों और बूढ़ों को बड़ी परेशानी हो रही थो । सामान्य और असुरक्षित (un-reserved) डिब्बों में तो हालत और भी खराब थी । गाडियां खचाखच भरी थीं । चाचाजी की गाड़ी आने में अभी आधे घंटे की देर थी ।
अत: में दृश्य का आनन्द लेने लगा । देश के सभी भागों से स्त्री-पुरुष वहां उपस्थित थे । उनके रंग-बिरंगे और विविध वस्त्र आकर्षक थे । वे सब अपने-अपने लहजों और बोलियों में बोल रहे थे । कुछ लोग अंग्रेजीं में भी बात कर रहे थे । लगता था जैसे एक छोटा-सा भारत ही वहां उपस्थित था ।
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मैं एक चाय की स्टॉल पर गया और चाय पी । चाय गरम और स्वाद वाली थी । वहां और लोग भी खा-पी रहे थे । कुछ लोग ठंडे पेय का मजा ले रहे थे । प्लेटफार्म पर कहीं भी खाली जगह नहीं थी । कही पर कोई लेटा हुआ था, तो कहीं पर कोई बैठा या अधलेटा । बैंचे भी भरी हुई थी ।
टीटी, गार्ड, मैकेनिक और दूसरे कर्मचारी अपने-अपने काम में व्यस्त थे । पुलिस के लोग भी वहां गश्त लगा रहे थे । लाउड-स्पीकर पर गाड़ियों के आने-जाने की सूचना दी जा रही थी । न जाने कब आधा घंटा बी गया और चाचा जी की राजधानी एक्सप्रेस धड़धड़ाती हुई प्लेटफार्म पर आ खड़ी हुइ । मैं सजग होकर देखने लगा । चाचाजी डिब्बे के दरवाजे में खड़े नजर आये । मैंने हाथ हिलाया और उन्होंने तुरंत उत्तर में अपना हाथ हिलाया । गाड़ी रुकने से पूर्व ही मैं उनके पास पहुंच गया ।
सामान कुली को पकड़ाया और हम प्लेटफार्म से बाहर आ गये । एक टैक्सी की और घर के लिए रवाना हो गये । रास्ते में भी बड़ा ट्रैफिक था और हमारी टैक्सी को जगह-जगह रुकना पड़ा । अंतत: हम घर पहुंच गये और हमने चैन की सांस ली । परंतु रेलवे स्टेशन का वह दृश्य मेरे लिए स्मरणीय बन गया अपनी विविधता और विचित्रता में ।
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