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वर्षा ऋतु :
वर्षा ऋतु से पूर्व ग्रीष्म ऋतु आती है। ग्रीष्म ऋतु में सूर्य अपने प्रचंड ताप से घरती को जला देता है। पेड़, पौधे, फुल, पत्ते सब गरमी से मुरझा जाते है; नदी, तालाब सब जलहीन हो जाते है; किसान खेती के लिए वर्षा का इंतजार करते हैं। तेज हवाएँ और लू मनुष्य और प्रकृति दोनों को व्याकुल कर देती है।
तब अचानक आकाश में घटाएँ घिटने लगती है और गरम हवा ठड़ी हो जाती है। लोगो का मन प्रफुल्लित हो जाता है, मेघ गरजने लगते हैं। चारों और का वातावरण सुखद हो जाता है और हलकी- हलकी बूँदो से मिट्टी की सोंधी गंघ आती है, जो मन को खुश कर देती है।
वर्षा ऋतु से अनेक लाभ है। खेती को वर्षा से जीवन मिलता है। पृथ्वी पर पेड़ - पौधे और वनस्पतियाँ हरी- भरी हो जाती है। नदियाँ और तालाब पानी से भर जाते है, वर्षा सबको बहुत आनंद देती है। लोग अपने- अपने घरों से छाते और बरसातियाँ पहनकर घूमने निकलते है। सड़को पर भरे पानी मे बच्चे उछलते- कूदते है।
वर्षा का प्रकृति और मनुष्य के जीवन में अत्यधिक महत्त्व है। यह सूखे जीवन मे नव रस का संचार करती है। वर्षा का आगमन सभी के जीवन में स्फूर्ति का संचार करता है।
वर्षा ऋतु से पूर्व ग्रीष्म ऋतु आती है। ग्रीष्म ऋतु में सूर्य अपने प्रचंड ताप से घरती को जला देता है। पेड़, पौधे, फुल, पत्ते सब गरमी से मुरझा जाते है; नदी, तालाब सब जलहीन हो जाते है; किसान खेती के लिए वर्षा का इंतजार करते हैं। तेज हवाएँ और लू मनुष्य और प्रकृति दोनों को व्याकुल कर देती है।
तब अचानक आकाश में घटाएँ घिटने लगती है और गरम हवा ठड़ी हो जाती है। लोगो का मन प्रफुल्लित हो जाता है, मेघ गरजने लगते हैं। चारों और का वातावरण सुखद हो जाता है और हलकी- हलकी बूँदो से मिट्टी की सोंधी गंघ आती है, जो मन को खुश कर देती है।
वर्षा ऋतु से अनेक लाभ है। खेती को वर्षा से जीवन मिलता है। पृथ्वी पर पेड़ - पौधे और वनस्पतियाँ हरी- भरी हो जाती है। नदियाँ और तालाब पानी से भर जाते है, वर्षा सबको बहुत आनंद देती है। लोग अपने- अपने घरों से छाते और बरसातियाँ पहनकर घूमने निकलते है। सड़को पर भरे पानी मे बच्चे उछलते- कूदते है।
वर्षा का प्रकृति और मनुष्य के जीवन में अत्यधिक महत्त्व है। यह सूखे जीवन मे नव रस का संचार करती है। वर्षा का आगमन सभी के जीवन में स्फूर्ति का संचार करता है।
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