Class 11th Sanchar Kranti nibandh in Hindi
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- उपग्रह, अंग्रेजी के सैटेलाइट शब्द का हिन्दी रूपान्तर है। उपग्रहों की रचना करके इन्हें अन्तरिक्ष में स्थापित किया जाता है। उपग्रहों को अन्तरिक्ष में स्थापित करने से हमें अनेक महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त होते हैं। इनके द्वारा हमें मौसम की सही स्थिति का ज्ञान होता है। समुद्री तूफान, बाढ़, भूकम्प, ज्वालामुखी विस्फोट आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं की पूर्व सूचनाएं भी हमें उपग्रहों द्वारा प्राप्त हो जाती हैं।
उपग्रहों द्वारा कापीज मशीनी- आधुनिक युग में भारत ने अन्तरिक्ष अनुसन्धान के क्षेत्र में काफी उन्नति की है। भारत ने 26 मई, 1999 को पी0एल0एल0वी0सी0 2 उपग्रह प्रक्षेपण, वाहन के द्वारा दो विदेशी तथा एक स्वदेशी उपग्रह को अन्तऱिक्ष में पहुंचाया है।
इसके अतिरिक्त भारत इन्सेट-3म् उपग्रह को भी अन्तरिक्ष कक्षा में स्थापित कर चुका है। यहां तक कि अब अन्य देश भी अन्तरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भी भारत पर ही निर्भर रहने लगे हैं।
आज भारत के वैज्ञानिक भू-तुल्यकालिक उपग्रह, प्रशेपण वाहन पर अनुसंधान कर रहे हैं तथा साथ ही वे इन्सेट-3म् की श्रृंखला के उपग्रह का भी निर्माण कर रहे हैं। इन उपग्रहों के द्वारा मौसम, संचार, शिक्षा, व्यवसाय आदि क्षेत्रों के लिए सिग्नल हस्तानान्तरित किये जा रहे हैं।
संचार उपग्रह ने विश्व की संचार व्यवस्था में आश्चर्यजनक बदलाव ला दिये हैं। भारत में भी संचार उपग्रहों का काफी विकास हुआ है। भारतीय डाक तार विभाग भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन के सहयोग से संचार उपग्रह का प्रयोग टेलीग्राफ और टेलीफोन आदि सेवा के लिए करने लगा है।
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उपग्रहों द्वारा दूर संचार व्यवस्था हेतु 1946 ई0 में अन्तर्राष्ट्रीय दूरसंचार उपग्रह संगठन का गठन हुआ। भारत भी इस संगठन का सदस्य है। भारत में इसके दो केन्द्र, एक केन्द्र आर्वी और दूसरा देहरादून में स्थित है।
विश्व व भारत में उपगहों ने संचार के क्षेत्र में एक नई संचार क्रांति उत्पन्न की है। उपग्रहों द्वारा भारत ने अपने प्रसारणों को सार्वभौम बनाने में सफलता अर्जित की है।
अतः उपग्रह संचार प्रौधोगिकी आने वाले समय में संचार के क्षेत्र में नये संस्थानों को विकसित करेगी।
उपग्रहों द्वारा कापीज मशीनी- आधुनिक युग में भारत ने अन्तरिक्ष अनुसन्धान के क्षेत्र में काफी उन्नति की है। भारत ने 26 मई, 1999 को पी0एल0एल0वी0सी0 2 उपग्रह प्रक्षेपण, वाहन के द्वारा दो विदेशी तथा एक स्वदेशी उपग्रह को अन्तऱिक्ष में पहुंचाया है।
इसके अतिरिक्त भारत इन्सेट-3म् उपग्रह को भी अन्तरिक्ष कक्षा में स्थापित कर चुका है। यहां तक कि अब अन्य देश भी अन्तरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भी भारत पर ही निर्भर रहने लगे हैं।
आज भारत के वैज्ञानिक भू-तुल्यकालिक उपग्रह, प्रशेपण वाहन पर अनुसंधान कर रहे हैं तथा साथ ही वे इन्सेट-3म् की श्रृंखला के उपग्रह का भी निर्माण कर रहे हैं। इन उपग्रहों के द्वारा मौसम, संचार, शिक्षा, व्यवसाय आदि क्षेत्रों के लिए सिग्नल हस्तानान्तरित किये जा रहे हैं।
संचार उपग्रह ने विश्व की संचार व्यवस्था में आश्चर्यजनक बदलाव ला दिये हैं। भारत में भी संचार उपग्रहों का काफी विकास हुआ है। भारतीय डाक तार विभाग भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन के सहयोग से संचार उपग्रह का प्रयोग टेलीग्राफ और टेलीफोन आदि सेवा के लिए करने लगा है।
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उपग्रहों द्वारा दूर संचार व्यवस्था हेतु 1946 ई0 में अन्तर्राष्ट्रीय दूरसंचार उपग्रह संगठन का गठन हुआ। भारत भी इस संगठन का सदस्य है। भारत में इसके दो केन्द्र, एक केन्द्र आर्वी और दूसरा देहरादून में स्थित है।
विश्व व भारत में उपगहों ने संचार के क्षेत्र में एक नई संचार क्रांति उत्पन्न की है। उपग्रहों द्वारा भारत ने अपने प्रसारणों को सार्वभौम बनाने में सफलता अर्जित की है।
अतः उपग्रह संचार प्रौधोगिकी आने वाले समय में संचार के क्षेत्र में नये संस्थानों को विकसित करेगी।
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