class 9 cbse
atithi tum kab jaoge summary.
sparsh book.
give fast and no wague answers.
Answers
तुम कब जाओगे अतिथि पाठ का सारांश:
तुम कब जाओगे अतिथि पाठ लेखक शरद जोशी ने लिखा है | इस पाठ में लेखक ने उन लोगों का वर्णन किया है जो किसी के घर में अथिति बन के जाते है लेकिन फिर वहीं पर अपना कब्ज़ा बना देते है | कुछ लोग अतिथि बन के नहीं आते वह दूसरों को परेशान करने के लिए आते है|
बहुत दिनों तक रुक जाते हो और उन लोगों के लिए परेशानी का कारण बन जाते है| अच्छे अतिथि वह होते है जो दूसरों के घर में अतिथि की तरह जाते है और 2 -3 दिन काट कर वापिस आ जाते है|
लेखक ने पाठ में उन लोगों को समझाने का प्रयास किया जो लोग अतिथि नहीं सिरदर्दी बन जाते है| परिवार वालों का समय बर्बाद करते है, परन्तु उनके अतिथि को इससे कोई असर नहीं पड़ता। ऐसे अतिथियों को सबक सिखाने के उद्देश्य से लेखक ने इस पाठ की रचना की है।
लेखक ने इस पाठ में यह बताया है कि उनके घर में मेहमान आ जाते है और वह जाने का नाम नहीं लेते है| लेखक रोज़-रोज़ मेहमाननवाज़ी से परेशान हो रहे थे| रोज़ उनकी पसंद से खाना बनाना और उनकी सेवा करना | लेखक मन ही मन में सोचते थे की अतिथि घर कब जाओगे| लेखक अपने मन ही अतिथि से कहता है कि लेखक जानता है कि अतिथि देवता होता है, पर आखिर लेखक भी मनुष्य ही है।
लेखक कहता है कि एक देवता और एक मनुष्य अधिक देर साथ नहीं रहते। देवता दर्शन देकर लौट जाता है। लेखक अतिथि को लौट जाने के लिए कहता है और कहता है कि इसी में अतिथि का देवत्व सुरक्षित रहेगा। लेखक अंत में दुखी हो कर अतिथि से कहता है उफ, तुम कब जाओगे, अतिथि?
पाठ से हमें यह संदेश मिलता है कि हमें अतिथि की तरह ही दूसरों के घर में जाना चाहिए न की उनकी परेशानियाँ बनने के लिए |
Answer:
तुम कब जाओगे अतिथि पाठ का सारांश:
तुम कब जाओगे अतिथि पाठ लेखक शरद जोशी ने लिखा है | इस पाठ में लेखक ने उन लोगों का वर्णन किया है जो किसी के घर में अथिति बन के जाते है लेकिन फिर वहीं पर अपना कब्ज़ा बना देते है | कुछ लोग अतिथि बन के नहीं आते वह दूसरों को परेशान करने के लिए आते है|
बहुत दिनों तक रुक जाते हो और उन लोगों के लिए परेशानी का कारण बन जाते है| अच्छे अतिथि वह होते है जो दूसरों के घर में अतिथि की तरह जाते है और 2 -3 दिन काट कर वापिस आ जाते है|
लेखक ने पाठ में उन लोगों को समझाने का प्रयास किया जो लोग अतिथि नहीं सिरदर्दी बन जाते है| परिवार वालों का समय बर्बाद करते है, परन्तु उनके अतिथि को इससे कोई असर नहीं पड़ता। ऐसे अतिथियों को सबक सिखाने के उद्देश्य से लेखक ने इस पाठ की रचना की है।
लेखक ने इस पाठ में यह बताया है कि उनके घर में मेहमान आ जाते है और वह जाने का नाम नहीं लेते है| लेखक रोज़-रोज़ मेहमाननवाज़ी से परेशान हो रहे थे| रोज़ उनकी पसंद से खाना बनाना और उनकी सेवा करना | लेखक मन ही मन में सोचते थे की अतिथि घर कब जाओगे| लेखक अपने मन ही अतिथि से कहता है कि लेखक जानता है कि अतिथि देवता होता है, पर आखिर लेखक भी मनुष्य ही है।
लेखक कहता है कि एक देवता और एक मनुष्य अधिक देर साथ नहीं रहते। देवता दर्शन देकर लौट जाता है। लेखक अतिथि को लौट जाने के लिए कहता है और कहता है कि इसी में अतिथि का देवत्व सुरक्षित रहेगा। लेखक अंत में दुखी हो कर अतिथि से कहता है उफ, तुम कब जाओगे, अतिथि?
पाठ से हमें यह संदेश मिलता है कि हमें अतिथि की तरह ही दूसरों के घर में जाना चाहिए न की उनकी परेशानियाँ बनने के लिए |