class 9 Hindi Chapter 2 Mirabai bhajan ka question answer
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O भाव भक्ति को जागीर क्यों कहा गया है ? 'मीरा के पद' के आधार पर उत्तर दीजिए I
► मीरा के पदों में भाव भक्ति को जागीर इसलिए कहा गया है क्योंकि मीरा कहती हैं कि भगवान की सेवा करने से उन्हें अनेक लाभ मिलने वाले हैं। प्रभु की निरंतर सेवा करते रहने से उन्हें प्रभु के रोज दर्शन होंगे और प्रभु का भजन करने का जो सौभाग्य उन्हें रोज मिलेगा वह उनके लिए जेब खर्च के समान होगा। इसलिए प्रभु की सेवा से मिलने वाले जो आनंद उन्हें प्राप्त होगा, वह किसी जागीर से कम नही।
O मीराबाई ने श्रीकृष्ण से अपनी पीड़ा हरने की प्रार्थना किस प्रकार की है? अपने शब्दों में लिखिए।
► मीराबाई ने श्री कृष्ण से अपनी पीड़ा हरने की प्रार्थना उन उदाहरणों को देकर की है जब श्री कृष्ण ने अनेक रूप धारण कर अपने भक्तों के प्राणों और उनके मान-सम्मान की रक्षा की थी। मीराबाई द्रौपदी का उदाहरण देती हुई कहती हैं कि जब द्रौपदी का भरी सभा में दुःशासन द्वारा चीरहरण हो रहा था, तब श्रीकृष्ण ने कभी न खत्म होने वाली साड़ी प्रदान कर द्रौपदी की लाज बचाई थी। जब भक्त प्रहलाद अपने राक्षस पिता हिरण्कश्यप का कोप-भाजन बन रहा था तब प्रभु ने नरसिंह का अवतार धारण कर अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी। उसी तरह जब ऐरावत हाथी मगरमच्छ के चंगुल में फंस गया और उसके पैर को मगरमच्छ ने अपने जबड़ों में जकड़ लिया था, तब उसने भगवान को पुकारा और भगवान ने सही समय पर पहुंचकर उसके प्राणों की रक्षा की थी। मीराबाई कहती हैं कि हे भगवान जिस तरह अपने संकट के समय अपने भक्तों के दुखों को दूर किया, उसी तरह आप भी मेरी पीड़ा को हर लो, मेरे दुखों को दूर कर दो।
O 'स्याम म्हाने चाकर राखो जी' में मीराबाई श्याम की चाकरी क्यों करना चाहती हैं ?
► ‘स्याम म्हाने चाकर राखो जी’ में मीराबाई श्याम की चाकरी इसलिए करना चाहती हैं ताकि वह रोज श्याम जी अर्थात भगवान श्री कृष्ण के दर्शन कर सकें। यह भक्ति भाव की चरम सीमा है। मीरा श्री कृष्ण के प्रति भक्ति में उनके यहां उनका नौकर बनने तक को तैयार हैं। मीरा इसका कारण बताते हुए कहती हैं कि जब वह श्याम की सेविका बन जाएंगी तो श्याम के सेवा के बहाने उन्हें रोज श्याम जी के दर्शन होने के सौभाग्य मिलेंगे और श्याम के सेविका के रूप में उनकी सेवा करने का जो सौभाग्य उन्हें प्राप्त होगा, ये सौभाग्य तो किसी जागीर से कम नहीं है। इसके लिए मीरा बाई श्री कृष्ण के प्रति भक्ति की चरम सीमा में उनकी चाकरी करने तक को तैयार हैं।
O मीरा के पदों में कृष्ण लीलाओं एवं महिमा के वर्णन का उद्देश्य क्या है?
► मीरा के पदों में कृष्ण लीला एवं महिमा के वर्णन का उद्देश्य मीराबाई द्वारा कृष्ण के प्रति अपनी अनन्य भक्ति का प्रकटीकरण करना था। मीराबाई बचपन से ही कृष्ण की अनन्य भक्तिन थीं। मीराबाई श्रीकृष्ण को ही अपना प्रियतम मान बैठी थीं। भले ही उनकी शादी किसी राजा से हो गई थी, लेकिन वह कृष्ण को ही अपना प्रियतम मानती थी और उनके लिए ही अपना जीवन अर्पित कर चुकी थीं। वे कृष्ण की भक्ति में अपने जीवन को समर्पित करना चाहती थीं। उनकी पति की मृत्यु के बाद उन्हें अपनी भक्ति प्रदर्शन का पूर्ण समय मिल गया और उन्होंने कृष्ण की भक्ति के लिए स्वयं का जीवन समर्पित कर दिया और उन्होंने अपने पदों के माध्यम से कृष्ण श्री कृष्ण की लीला और महिमा का वर्णन कर अपनी भक्ति भाव को प्रकट किया है।
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Answer:
' Hari the Hariya Jan RO Veer'- ka aashay spasht kijiye