compose a poem in Hindi where the earth tells its aging due to global warming
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ग्लोबल वॉर्मिंग से गरमाती धरती,
ग्लेशियर पिघल रहे, घबराती धरती।
वायुमंडल हो रहा सारा ही दूषित,
उथल-पुथल है भीतर बतलाती धरती।
ग्रीन हाउस गैसों से बढ़ रहा खतरा,
सभी की चाहत है मुस्कुराती धरती।>
कहीं बाढ़, कहीं सूखा, रंग दिखलाता,
खून के आंसू भीतर बहाती धरती।
सुनामी का तांडव कहीं लील न जाए,
बचा लो तटों को, पाठ पढ़ाती धरती।>
अंधाधुंध न काटो, बढ़ाओ वृक्षों को,
पर्यावरण बचा लो समझाती धरती।
साभार - देवपुत्र
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